Last Updated:
Unique Diwali Traditions : दिवाली को अक्सर रोशनी का त्योहार कहा जाता है, लेकिन भारत में यह सिर्फ दीपक जलाने का पर्व नहीं है, बल्कि यह एक जीवंत सांस्कृतिक अनुभव है, जो हर राज्य, हर समुदाय और हर परंपरा को अपने में समेटे हुए है. यह ऐसा उत्सव है जो हर इलाके में अलग तरीके से मनाया जाता है-कहीं पर देवी देवताओं की पूजा होती है, तो कहीं पुरखों को याद किया जाता है. कहीं आतिशबाज़ी से आसमान रोशन होता है, तो कहीं शांत दीपों से नदियों के घाट जगमगाते हैं. भारत की यही विविधता दिवाली को खास बनाती है. यहां हम आपको बताएंगे दिवाली से जुड़ी 7 अनोखी परंपराएं, जो सिर्फ भारत में ही देखने को मिलती हैं. इन परंपराओं में न सिर्फ धार्मिक भावनाएँ छिपी हैं, बल्कि लोककथाओं, विरासत और सामुदायिक भावना की झलक भी मिलती है.

1. पुष्कर का ऊंट मेला, राजस्थान
राजस्थान के रेगिस्तानी शहर पुष्कर में दिवाली के समय लगने वाला ऊंट मेला किसी उत्सव से कम नहीं होता. हजारों ऊंट, घोड़े और पशुपालक इस मेले में हिस्सा लेते हैं. रेतीली ज़मीन पर रंग बिरंगे कपड़े, लोक नृत्य और संगीत पूरे माहौल को जीवंत बना देते हैं. शाम को जब झील के किनारे दीप जलाए जाते हैं, तो वह नज़ारा देखने लायक होता है.

2. नरक चतुर्दशी पुतला दहन, गोवा
गोवा की दिवाली सूरज निकलने से पहले शुरू हो जाती है, जब लोग राक्षस नरकासुर के पुतले को जलाते हैं. बच्चे और युवा कई दिनों पहले से बांस, कपड़े और रंगों से बड़े बड़े पुतले बनाते हैं. सुबह होते ही इन पुतलों को पटाखों के साथ जलाया जाता है. यह बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है और गोवा के हर गली मोहल्ले में इस परंपरा को जोश के साथ निभाया जाता है.

3. कौंरिया काठी और बड़बदुआ डाका, ओडिशा
ओडिशा में दिवाली को एक भावनात्मक रूप में देखा जाता है. रात को लोग जलती हुई लकड़ियां लेकर घरों के सामने खड़े होते हैं और पुरखों को याद करते हुए एक खास मंत्र बोलते हैं, जिसमें उन्हें घर आने का न्योता दिया जाता है. माना जाता है कि इस रात पुरखों की आत्माएँ लौटती हैं और अपने घरवालों को आशीर्वाद देती हैं. यह परंपरा दिवाली को एक अलग ही आत्मीय रूप देती है.

4. देव दीपावली, वाराणसी
वाराणसी में दिवाली के 15 दिन बाद मनाई जाती है देव दीपावली. इस दिन गंगा के घाटों पर लाखों दीपक जलाए जाते हैं. पुजारी आरती करते हैं, भक्त नावों में बैठकर जल में दीप प्रवाहित करते हैं. यह दृश्य इतना मंत्रमुग्ध कर देने वाला होता है कि देखने वाला उसे कभी नहीं भूल सकता. यहाँ दिवाली सिर्फ रोशनी नहीं, एक गहरी भक्ति और आत्मा की शांति का अनुभव बन जाती है.

5. कार्तिगाई दीपम, तिरुवन्नामलाई
दक्षिण भारत में यह पर्व विशेष होता है. अरुणाचल पर्वत की चोटी पर एक विशाल दीप जलाया जाता है, जिसे दूर दूर से लोग देख सकते हैं. मंदिरों और घरों में दीयों की कतारें सजाई जाती हैं. इसे भगवान शिव के प्रकाश रूप का प्रतीक माना जाता है. यह दिवाली से कुछ दिन बाद होती है लेकिन भावना वही होती है-अंधकार से उजाले की ओर.

6. बंदी छोड़ दिवस, पंजाब
सिख समुदाय में दिवाली का दिन गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई के रूप में मनाया जाता है. अमृतसर का स्वर्ण मंदिर इस दिन दीयों से जगमगाता है. लंगर, भजन और सेवा के इस माहौल में श्रद्धा की एक गहरी भावना देखने को मिलती है. यह परंपरा दिखाती है कि दिवाली सिर्फ खुशी का ही नहीं, बल्कि स्वतंत्रता और न्याय का भी प्रतीक है.

7. काली पूजा, पश्चिम बंगाल
जब भारत के ज़्यादातर हिस्सों में लोग लक्ष्मी पूजा करते हैं, बंगाल में मां काली की आराधना होती है. डरावनी लेकिन शक्तिशाली मूर्तियां, लाल रंग की रोशनी और धूप दीपों की सुगंध से कोलकाता की गलियां भर जाती हैं. यह पूजा दिखाती है कि दिवाली सिर्फ सौम्यता की नहीं, बल्कि शक्ति और साहस की भी पहचान है.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/photogallery/lifestyle/culture-7-unique-diwali-traditions-you-can-only-experience-in-india-from-rajasthan-to-goa-ws-e-9712036.html







