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अंतिम संस्कार के बाद क्यों इकट्ठा की जाती हैं अस्थियां? फिर क्यों करते हैं विसर्जन? जानें क्या कहता है गरुड़ पुराण


हाइलाइट्स

गरुण पुराण के बारे में आपने सुना होगा और पढ़ा भी होगा.18 पुराणों में से एक है और इसमें जन्म से लेकर मरण तक कई बातों और परंपराओं का उल्लेख है.

Asthi Visarjan In Garuda Purana : हिन्दू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक कई सारी परंपराओं का निर्वाहन किया जाता है. इन्हें 16 संस्कार के रूप में जाना जाता है. वहीं 16वें संस्कार यानी कि अंतिम संस्कार से जुड़ी कई ऐसी परंपरा हैं, जो जरूरी हैं और पूरे विधान से इन्हें निभाया जाता है. इनमें से एक है अंतिम संस्कार के बाद अस्थि विसर्जन की परंपरा. आप यह तो जानते होंगे कि सनातनी अपने परिवारजन की मृत्यु के बाद अस्थियां इकट्ठा करते हैं और उन्हें गंगा नदी में विसर्जित करते हैं. लेकिन अस्थियों को एकत्रित तीन दिन के बाद ही क्यों किया जाता है और इनका विजर्सन क्यों किया जाता है? इन सब बातों का रहस्य गरुण पुराण में मिलता है. आइए जानते हैं अस्थियों के विसर्जन से जुड़ी इस परंपरा और इसके पीछे के रहस्य के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

तीन दिन बाद चुनी जाती हैं अस्थियां
गरुण पुराण के बारे में आपने सुना होगा और पढ़ा भी होगा. यह 18 पुराणों में से एक है और इसमें जन्म से लेकर मरण तक कई बातों और परंपराओं का उल्लेख है. अंतिम संस्कार के बाद जो अस्थियां इकट्ठी की जाती हैं, उसको लेकर कहा गया है कि ये अस्थियां मृत्यु के तीसरे, सातवें और नौवें दिन एकत्रित की जाती हैं. साथ ही इन्हें 10 दिनों के अंदर आपको गंगा नदी में विसर्जित करना होता है. गंगा नदी के अलावा नर्मदा नदी, गोदावरी नदी, कृष्णा नदी और ब्रह्मपुत्र आदि नदियों में भी अस्थि विसर्जन किया जा सकता है.

तीन दिन बाद ही अस्थ्यिों को क्यों एकट्टठा किया जाता है? इसको लेकर कहा गया है कि अंतिम संस्कार के दौरान मंत्रों के जप की मदद से अस्थियों में तेज उत्पन्न होता है और इन तत्वों की संयुक्त तरंगों का संक्रमण तीन दिनों तक रहता है, इसलिए तीन दिन से पहले अस्थियों को एकत्रित नहीं किया जाता.

क्यों किया जाता है अस्थि विसर्जन
हमारा शरीर पांच तत्वों से बना होता है और अंतिम संस्कार के बाद शरीर पांच तत्वों में विलीन हो जाता है. वहीं गीता में कहा गया है कि आत्मा अजर और अमर है, ऐसे में अंतिम संस्कार के बाद आत्मा निकलकर नए जीवन में चली जाती है. अस्थ्यिों को विसर्जित करने को लेकर कहा जाता है कि ऐसा करने से इंसान को इस संसार से मुक्ति मिलती है और उसकी आत्मा को शांति मिलती है.

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