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आज मनाई जा रही पिठोरी अमावस्या, इस दिन पीपल की पूजा और परिक्रमा का है विशेष महत्व, जानें पूजा विधि


हाइलाइट्स

जो अमावस्या सोमवार के दिन आती है उसे सोमवती अमास्या के नाम से जाना जाता है.भाद्रपद मास में यह अमास्या 2 सितंबर यानी आज पड़ रही है.

Pithori Amavasya 2024 : हिन्दू धर्म में अमावस्या का बड़ा ही महत्व है और खास तौर पर सोमवती अमावस्या को विशेष स्थान दिया गया है इसे पिठोरी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. यहां बता दें कि, जो अमावस्या सोमवार के दिन आती है उसे सोमवती अमास्या के नाम से जाना जाता है और भाद्रपद मास में यह अमास्या 2 सितंबर यानी आज पड़ रही है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा के अनुसार, इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करना बेहद शुभ माना जाता है. कैसे करें पीपल की पूजा, क्या है सामग्री, क्या है परिक्रमा के नियम और क्या हैं इसके लाभ? आइए जानते हैं.

पूजा की सामग्री
सोमवती अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा के लिए आपको पूजा की थाली तैयार करके रखना होगी. इसमें कच्चा दूध, जल, फूल, चावल, रोली, मौली और घी का दीपक शामिल करें.

इस विधि से करें पूजा
– पीपल के पेड़ की पूजा से पहले स्नान कर साफ कपड़े धारण करें.
– पेड़ के पास जाकर सबसे पहले जल अर्पित करें.
– इसके बाद पीपल की जड़ में कच्चे दूध का अभिषेक करें.
– इसके बाद घी का दीपक जलाएं.
– फिर फूल, कुमकुम, अक्षत, चावल, रोली, चंदन लगाएं.
– इसके बाद भोग लगाएं और फिर आरती करें.

परिक्रमा का नियम
पूजा के दौरान जब आप पीपल की परिक्रमा करें तो ध्यान रहे संख्या 108 होना चाहिए. साथ ही परि​क्रमा के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए मौली (रक्षा सूत्र) को पीपल के पेड़ पर बांधें. यदि आप 108 परिक्रमा करने में अक्षम हैं तो 21 या कम से कम 11 जरूर करें.

मिलते हैं ये लाभ
पंडित जी के अनुसार, सोमवती अमावस्या पर पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से लंबी आयु के साथ उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है. इसके अलावा आपको पितरों का आशीर्वाद मिलता है. जिससे पितृ दोष का निवारण होता है. यदि आपके विवाह में वाधा आ रही है तो इसका समाधान भी होता है. साथ ही यदि आप आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो पीपल की परिक्रमा जरूर करें.

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