सैय्यद अलाउद्दीन व सैय्यद बल्खी रहमतुल्लाह ताला वलै वसल्लम बल्ख से सिर्फ अकेले नहीं आए थे बल्कि इनके साथ 4 अन्य भाई भी आए थे. इस प्रकार ये पांच भाई थे और इन्हीं 5 भाइयों की वजह से ही इस दरगाह का नाम पांचों पीरन पड़ा. नागपंचमी को यहां लाखों की संख्या में लोग आते हैं क्योंकि इसी दिन यहां पर उर्स मनाया जाता है.