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मंदिर के पुजारी बताते हैं कि रक्षाबंधन का पर्व भी वामन भगवान से जुड़ा हुआ है. राजा बलि ने भगवान विष्णु से वरदान मांगा था कि जब भी वह अपनी आंखें खोलें, सबसे पहले उन्हें विष्णु का दर्शन हो. इस वरदान के चलते विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के साथ रहने लगे. भगवान विष्णु के पाताल जाने के बाद लक्ष्मी माता चिंतित हो गईं और उन्होंने राजा बलि को भाई बनाकर रक्षा बांधी. इसके बाद राजा बलि ने भगवान विष्णु को मुक्त कर दिया.स्थानीय भक्त संदीप कुमार गुप्ता ने Bharat.one को बताया कि भगवान वामन का यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है. यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। संदीप कने बताया कि जब भी समय मिलता है यहां दर्शन के लिए आते हैं, क्योंकि यहा सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं हमेशा सफल होती है. भगवान वामन महराज का यह मंदिर ना केवल आध्यात्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी है, जो इस क्षेत्र को और भी विशिष्ट बनाता है.