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इस अनोखे मंदिर के कुंड में स्नान करने आती थीं माता यशोदा, ग्वाला के रूप में विराजमान हैं हनुमान जी, जानें मान्यता


मथुरा: ब्रज मंडल में श्री कृष्ण की बाल्यावस्था की हजारों कहानी आपको सुनने को मिल जाएगी. मथुरा में द्वापर कालीन याद आज भी मौजूद हैं. द्वापर युग का समय किस तरह से हुआ करता था, उस समय की याद आज भी ताजा होती हैं. श्री कृष्ण के जमाने में किस तरह के कुंड हुआ करते थे. उन कुंडों के साक्ष्य आज भी यहां मौजूद हैं

जानें इस मंदिर की मान्यता
भगवान श्री कृष्णा 11 साल साल ब्रज मंडल में रहे और इन 11 सालों में उन्होंने कदम-कदम पर अपनी लीलाओं को किया. कहीं श्री कृष्ण ने गोचरण लीला की, तो कहीं असुरों को यमलोक पहुंचाया. भगवान श्री कृष्ण का जन्म देव की मां के गर्भ से हुआ हो, लेकिन उनका लालन-पालन मां यशोदा ने किया था. मां यशोदा कृष्ण की दूसरी माता के रूप में विख्यात हुई. द्वापर काल से मां यशोदा के पुत्र कृष्ण कहलाते चले आ रहे हैं.

यशोदा मंदिर के पास है कुंड
क्या आपको पता है कि द्वापर काल में किस तरह के कुंड हुआ करते थे. एक कुंड मां यशोदा के नाम से भी विख्यात है. यहां हर दिन हजारों श्रद्धालु इस कुंड में स्नान कर अपने आप को सौभाग्यशाली समझते हैं. मान्यता के अनुसार यह कुंड द्वापर काल का है और यशोदा मंदिर के पास बना हुआ है.

यहां स्नान करती थीं मां यशोदा
यशोदा मंदिर और कुंड के पुजारी उद्धव दास महाराज ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण की मां नंद महल से यहां स्नान के लिए आती थीं. भगवान कृष्ण बाल्यावस्था में थे, तो इस कुंड के पास में वह उन्हें छोड़ देती थीं और स्नान करती थीं. उद्धव दास महाराज ने बताया कि यहां पर हजारों श्रद्धालु हर दिन आकर स्नान करते हैं.

 मां यशोदा और हनुमान मंदिर हैं पास-पास
मान्यता के अनुसार जो व्यक्ति इस कुंड में स्नान करता है. उसकी सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. उद्धव दास महाराज का यह भी कहना है कि यहां पर भगवान हनुमान का भी मंदिर बना हुआ है. वीर बजरंगी यहां पर कृष्ण के ग्वाला के रूप में विराजमान हैं. कृष्ण की सहायता किया करते थे. बालकृष्ण पर किसी भी तरह का संकट होता था, तो वीर बजरंगी उसे संकट को दूर करते थे.

उद्धव दास ने बताया कि वीर बजरंगी मां यशोदा के मंदिर में विराजमान हैं. इसके साथ ही यशोदा कुंड के पास मां यशोदा और बाल्यावस्था के भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा भी विराजमान है. कुंड के पास हनुमान जी भी विराजमान हैं, जो कि ग्वाला रूप में यहां भक्तों को दर्शन देते हैं.

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