विकाश कुमार/ चित्रकूट : धर्म नगरी चित्रकूट प्रभु श्री राम की कर्म स्थली रही है. यही प्रभु श्री ने अपने वनवास काल के दौरान साढ़े ग्यारह वर्ष बिताए थे.ऐसे ने चित्रकूट में आज हम आप को एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है.जहा खुद ब्रह्मा ने सृष्टि की उत्पत्ति के लिए 108 यज्ञ किया था.उनको पहले सी ज्ञात था की प्रभु श्री राम अपने वनवास काल में चित्रकूट आयेगे. आज भी इस मंदिर में भक्त दर्शन के लिए दूर दूर से पहुंचते है.
सृष्टि की उत्पत्ति के लिए हुआ था 108 यज्ञ
बता दे की चित्रकूट एक धार्मिक स्थल के रूप में बहुत महत्वपूर्ण है और यहाँ की यज्ञ वेदी मंदिर की मान्यता भी खास है. मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित यह मंदिर एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक भी है. यहाँ पर ब्रह्मा जी द्वारा 108 यज्ञ किए जाने की मान्यता है, जो सृष्टि की उत्पत्ति के लिए किए गए थे.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी को पूर्व अनुमान था कि भगवान श्री राम अपने वनवास के दौरान इस पवित्र स्थान पर आएंगे, इसलिए उन्होंने यहाँ यज्ञ किए, यही कारण है कि यह स्थान श्री राम के वनवास काल के दौरान भी विशेष महत्व रखता है, और इस पर पौराणिक ग्रंथों में भी वर्णन मिलता है।
पुजारी ने दी जानकारी
वही मंदिर के पुजारी कृष्ण दत्त द्विवेदी ने Bharat.one से बात करते हुए बताया की वनवास काल के दौरान भगवान श्री राम ने चित्रकूट में नंगे पैरों से विचरण किया और यज्ञ वेदी मंदिर में एक ज्ञानसभा भी आयोजित की थी। इस सभा में उनके साथ उनके चारों भाई, तीनों माता और सभी देवी-देवता उपस्थित थे। यह स्थल आज भी श्रद्धा और भक्ति की खोज में साधु संतों और भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है,16वीं शताब्दी में मध्यप्रदेश के पन्ना के राजा मान ने इस यज्ञ वेदी मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था। यह मंदिर आज भी पांच बीघे में फैले यज्ञ वेदी के प्रांगण के साथ अस्तित्व में है, जो इसके ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को दर्शाता है।
FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 13:24 IST
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