Last Updated:
Chitrakoot Mat Gajendra Nath Mandir: यूपी के चित्रकूट में मत गजेंद्र नाथ मंदिर में ब्रह्मा जी ने शिवलिंग की स्थापना की थी. इसे चित्रकूट का राजा भी कहा जाता है. मुगल आक्रांता औरंगजेब द्वारा इस शिवलिंग को तोड़ने …और पढ़ें

फोटो
हाइलाइट्स
- औरंगजेब ने चित्रकूट के मत गजेंद्र नाथ मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया था.
- शिवलिंग तोड़ने के दौरान औरंगजेब की सेना बीमार हो गई थी.
- आज भी मंदिर में शिवलिंग पर तोड़ने के निशान मौजूद हैं.
चित्रकूट: यूपी का चित्रकूट जनपद प्रभु श्री राम की तपोस्थली रहा है. यहां प्रभु श्री राम ने माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना वनवास का साढ़े ग्यारह वर्ष का समय भी काटा था. ऐसे में हम चित्रकूट के रामघाट के पास बने एक ऐसे मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं. जिसके अंदर स्थापित शिवलिंग को औरंगजेब ने तोड़ने का प्रयास किया था, लेकिन उसका यह प्रयास सफल न हो पाया और उसकी सेना धीमे-धीमे बीमार होती गई.
कई मंदिरों की मूर्तियां की थी खंडित
हम बात कर रहे हैं चित्रकूट के रामघाट में स्थित मत गजेंद्र नाथ मंदिर की. इसे चित्रकूट का राजा भी कहा जाता है. बताया जाता है कि जब प्रभु श्री राम भी वनवास काल के दौरान चित्रकूट में रुकने आए थे, तो उन्होंने इन्हीं से आज्ञा लेकर चित्रकूट में अपने वनवास का समय काटा था. ऐसे में जब औरंगजेब चित्रकूट आया था, तो उसने चित्रकूट के कई मठ मंदिरों को तोड़ा था. इसके साथ ही कई मूर्तियों को खंडित भी कर दिया था.
शिवलिंग तोड़ने के दौरान सेना हुई बीमार
वहीं, जब वह मत गजेंद्र नाथ मंदिर में ब्रह्मा जी के द्वारा स्थापित शिवलिंग में टाकी लगाकर उसको तोड़ने का प्रयास कर रहा था, तभी उसकी सेना बीमार हो गई. इसके बाद औरंगजेब ने मंदिर को तोड़ने का इरादा छोड़ दिया था. आज भी इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग को तोड़ने के निशान मौजूद हैं. भक्त बड़ी संख्या में भोले नाथ के दर्शन के लिए रामघाट में उमड़ते हैं और उनकी पूजा-अर्चना करते हैं.
पुजारी ने दी जानकारी
मत गजेंद्र नाथ के पुजारी शेष नारायण ने बताया कि औरंगजेब 1683 में मंदिर तोड़ने का प्रयास किया था. वह विश्व विजय करने का सपना लेकर निकला था. कालिंजर में विजय पाने के बाद वह जब चित्रकूट पहुंचा, तो उसने यहां के तमाम मठ मंदिरों को तोड़कर मत गजेंद्र नाथ मंदिर में आया. उसने यहां ब्रह्मा जी के द्वारा स्थापित शिवलिंग को तोड़ने का खूब प्रयास किया, लेकिन वह शिवलिंग को और तोड़ नहीं पाया.
सेना में फैल गई हैजा की बीमारी
शिव लिंग को तोड़ने के दौरान उसकी सेना में हैजा, उल्टी दस्त जैसी बीमारी फैल गई. धीरे-धीरे पूरी सेना बीमार होने लगी.अपनी सेना को बड़ी संख्या में बीमार होता देख औरंगजेब ने मंदिर के शिवलिंग को तोड़ने का इरादा छोड़ दिया. साथ ही मंदिर की देखरेख के लिए 330 बीघा जमीन दान में देकर संत बालकदास से अपनी सेना को ठीक करने के लिए मदद मांगी. संत ने हवनकुंड से भभूति निकालकर दी और उसे सैनिकों के बीच छिड़कने को कहा, जिसके बाद सभी सैनिक ठीक हो गए. ऐसे में आज भी मंदिर में औरंगजेब के सैनिकों की तोड़-फोड़ के निशान शिवलिंग पर मिलते हैं.