उज्जैन. हिन्दू धर्म में हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है. इस दिन सप्त ऋषि की पूजा करने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है. ये व्रत पाप से मुक्ति पाने के लिए भी किया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महिलाओं को ऋषि पंचमी का व्रत करने से मासिक धर्म के दौरान भोजन को दूषित करने के पाप से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान काम करने से रजस्वला दोष लगता है. अगर महिलाएं ऋषि पंचमी का व्रत करती हैं तो वो रजस्वला दोष से मुक्त हो जाती हैं. इसलिए यह व्रत स्त्रियों के लिए उपयोगी और कल्याणकारी माना जाता.आइए जानते है उज्जैन के पंडित आंनद भारद्वाज से यह व्रत कब रखा जायगा.
कब है ऋषि पंचमी
पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 7 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर शुरू होगी और 8 सितंबर को शाम 07 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए उदयातिथि के अनुसार, ऋषि पंचमी का व्रत 8 सितंबर को ही रखा जाएगा.
महिलाओं के लिए इसलिए खास है ये व्रत
मान्यता के अनुसार ऋषि पंचमी के दिन सप्तऋषि के सम्मान व्यक्त की जाती है. ऋषि पंचमी का व्रत विशेषकर महिलाएं इस व्रत को करती हैं. इस व्रत के प्रभाव से महिलाएं अपने पति के प्रति विश्वास, प्रेम तथा दीर्घायु होने की कामना करती है. इस व्रत को महिलाएं के मासिक धर्म के समय लगे पाप से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत करती है. इस व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन किया जाता है. इसके करने से सभी पाप से मुक्त होते है. तथा सौभाग्य का प्राप्ति होती है. ऋषि पंचमी व्रत के नियम बहुत कड़ें है व्रत करने वाले महिलाये को कठिन नियम पालन करना पड़ता है.
ऋषि पंचमी पर जरूर करें इन चीजों का दान
ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने वाले साधकों को सप्तऋषि की पूजा के बाद दान जरूर करना चाहिए. मान्यता है इससे व्रत का फल जल्द मिलता है. इस दिन किसी ब्राह्मण को केला, घी, शक्कर आदि का दान करें. साथ ही सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा दें. इससे साधकों को ब्राह्मण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है.
FIRST PUBLISHED : September 6, 2024, 17:56 IST
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