अयोध्या: सनातन धर्म में मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को महालक्ष्मी का व्रत रखा जाता है. इस दौरान भक्त सुख समृद्धि के लिए माता लक्ष्मी के निमित्त व्रत रखते हैं और विधि विधान पूर्वक उनकी पूजा आराधना करते हैं. तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कि कब रखा जाएगा महालक्ष्मी का व्रत? क्या है शुभ मुहूर्त और पूजा विधि?
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को रात्रि 11:11 से शुरू हो रही है, जिसका समापन 11 सितंबर को रात्रि 11:46 पर होगा. ऐसी स्थिति में 11 सितंबर को महालक्ष्मी का व्रत रखा जाएगा. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में सुबह उठकर स्नान ध्यान करने के बाद महालक्ष्मी व्रत का संकल्प लेना चाहिए और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करनी चाहिए. कहा जाता है कि माता लक्ष्मी धन की देवी होती हैं, ऐसी स्थिति में इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करने से धन संबंधित परेशानियों से निवारण भी मिलता है .
जानिए पूजाविधि
महालक्ष्मी व्रत के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद मंदिर की सफाई करनी चाहिए. एक चौकी पर माता लक्ष्मी की प्रतिमा को स्थापित करना चाहिए. माता लक्ष्मी का पंचामृत से स्नान करना चाहिए. उसके बाद पूजा आराधना करनी चाहिए. इसके पश्चात सुपारी, नारियल, चंदन, पुष्प, फल समेत आदि चीजों को अर्पित करना चाहिए. उसके बाद माता लक्ष्मी को 16 श्रृंगार की वस्तु को चढ़ाना चाहिए फिर दीपक जलाकर आरती करें और माता लक्ष्मी के चालीसा का पाठ करें. इतना करने के बाद अंत में फल, मिठाई, साबूदाने की खीर का भोग लगाएं
FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 15:11 IST
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