अयोध्या: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है. हरतालिका तीज के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. पौराणिक मान्यता है कि इसी तिथि पर महादेव ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकारा था. ऐसी स्थिति में चलिए जानते हैं कि कब है हरतालिका तीज का व्रत, क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और क्या है हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर .
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 5 सितंबर दोपहर 12:21 पर हो रहा है .इस तिथि का समापन 6 सितंबर दोपहर 3:01 पर होगा. उदया तिथि के अनुसार हरतालिका तीज का व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा. हरतालिका तीज व्रत को विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की लंबी आयु के लिए करती हैं. साथ ही कुवारी लड़कियां मनचाहे वर और जल्द विवाह के लिए व्रत करती हैं. इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना कर प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है. धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के वैवाहिक जीवन में खुशियों का आगमन होता है
हरियाली और हरतालिका तीज में अंतर
पंडित कल्कि राम बताते हैं कि हरियाली तीज और हरतालिका तीज में काफी अंतर है लेकिन यह व्रत दोनों भगवान शंकर और माता पार्वती को समर्पित होता है. हरियाली तीज का व्रत जहां सावन के महीने में रखा जाता है तो वहीं भाद्रपद माह में हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है. इन दोनों तीज के बीच लगभग एक महीने का अंतर भी होता है. हरियाली तीज को छोटी तीज के नाम से जाना जाता है तो हरतालिका तीज को बड़ी तीज भी कहा जाता है.
FIRST PUBLISHED : August 28, 2024, 15:05 IST
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