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कहां है वो लाक्षागृह महल? जहां षड्यंत्र के शिकार हुए थे पांडव, मां और भाई की जान बचाने के लिए खोद डाली थी गुफा


महाभारत पूरी षड्यंत्रों से भरी हुई है. इतना बड़ा युद्ध कौरव और पांडवों के बीच लड़ा गया. दुर्योधन ने पांडवों को खत्म करने के लिए कई षड्यंत्र रचें, लेकिन सबसे बड़ी साजिश थी उनके लिए लाक्षागृह महल बनाने की. लाक्षागृह महल इसलिए बनाया गया ताकि पांडवों को जिंदा जला दिया जाए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो लाक्षागृह महल कहां है? आइए जानते हैं यहां.

लाक्षागृह महल को “हाउस ऑफ लैकर” के नाम से भी जाना जाता है. महाभारत कथा में इसका भी खूब जिक्र हुआ. यह लाख और आसानी से जलने वाले पदार्थों से बना एक महल था, जिसे राजा धृतराष्ट्र के एजेंट पुरोचन ने से बनवाया गया था. पौराणिक कथा के अनुसार, पांडवों – युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव को उनकी मां कुंती के साथ वारणावत के महल में रहने के लिए आमंत्रित किया गया था. उन्हें पता नहीं था कि पांडवों को मारने के मकसद से महल में आग लगाने की योजना बनाई गई.

हालांकि, पांडवों के शुभचिंतक विदुर ने उन्हें साजिश के बारे में चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा “हर शस्त्र लोहे के नहीं होते हैं, परंतु शरीर को नष्ट कर देता है.” इसका संकेत यह था कि “शत्रुओं ने तुम्हारे लिए एक ऐसा भवन तैयार करवाया है, जो आग लगने से उसमें मौजूद सभी लोगों को नष्ट कर सकता है.”

लाक्षागृह (तस्वीर- Wikimedia)

लाक्षागृह (तस्वीर- Wikimedia)

कहां है लाक्षागृह महल?
महाभारत के अनुसार, लाक्षागृह वारणावत में स्थित था, जो अब भारत के उत्तर प्रदेश के बरनावा में है. इसमें खोदी गई सुरंग हिंडन नदी के किनारे खुलती थी. पांडवों ने इस साजिश से बचने के लिए परानीपुर गांव में गंगा से उस पार तक सुरंग को खोद डाली थी. कहा जाता है इसी सुरंग से वे बचकर निकले थे. भीम को एक मजबूत और बहादुर योद्धा के रूप में देखा जाता है. कहा जाता है कि भीम को 100 हाथियों की शक्ति थी. जब महल में आग लगी तो भीम ने गड्ढा खोद डाला. वे अपनी मां कुंती को साथ लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच गए.

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