वाराणसी: इस समय देश में पूजा अनुष्ठानों का तरीका भी तेजी से बढ़ता जा रहा है. इंटरनेट के इस युग में अब ऑनलाइन पूजा की खासी डिमांड है. सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक हो या फिर पितृपक्ष में श्राद्ध दूर दराज बैठे लोग काशी में इन अनुष्ठानों के लिए बुकिंग करा रहे हैं. दिल्ली, महाराष्ट्र, जम्मू समेत विदेशों से यजमानों के फोन काशी के पुरोहितों के पास आने लगे है.
जानें इसका महत्व
पिचाशमोचन तीर्थ के अलावा अस्सी, दशाश्वमेध और केदार घाट के लिए सबसे ज्यादा बुकिंग हो रही है. बता दें कि काशी के इन तीर्थ स्थलों पर पिंडदान और श्राद्ध का अपना विशेष महत्व होता है. यही वजह है कि दूर दराज से लोग पितृपक्ष में इन तीर्थ स्थलों पर अपने पितरों के आत्मा की शांति के लिए आते हैं और इन तीर्थ स्थानों पर विभिन्न अनुष्ठान करते हैं.
इन तीर्थों का विशेष महत्व
काशी के तीर्थ पुरोहित बलराम मिश्रा ने बताया कि काशी के पिशाच मोचन तीर्थ पर अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध किया जाता है. पूरे विश्व में अतृप्त आत्माओं की मुक्ति के लिए यह तीर्थ स्थान जाना जाता है. इसके अलावा अस्सी, केदार घाट और दशाश्वमेध घाट पर पिंडदान और तर्पण का खासा महत्व है.
वीडियो कॉल के जरिए जुड़ते है यजमान
पितृपक्ष 18 सितंबर से शुरू होना है. ऐसे में अभी से पुरोहितों के पास ऑनलाइन श्राद्ध, पिंडदान और त्रिपिंडी के लिए बुकिंग शुरू हो गई है.ऑनलाइन इन अनुष्ठानों में सिर्फ यजमानों को अपना नाम और गोत्र बताना पड़ता है. जिसके बाद तय समय और तारीख पर यजमान इन अनुष्ठानों को करते हैं और यजमान दूर बैठे वीडियो कॉल के जरिए इसमे शामिल होते हैं.
FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 12:19 IST