पहले गैस, स्टोव आदि चीजें नहीं थी और मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता था.नीचे फर्श पर चूल्हा रखा होता था जिसकी वजह से नीचे बैठकर ही भोजन बनाना संभव था.
Niche Baithkar Khana Banane Ka Mahatva : आपने पहले के समय दादी या नानी को खाना बनाते हुए रसोई घर में देखा होगा और आपको शायद यह भी याद होगा कि वे हमेशा बैठकर खाना बनाती थी. लेकिन अब किचन मॉर्डन हो गए हैं और यहां खड़े होकर खाना बनाया जाता है. कई लोगों का मानना है कि पहले गैस, स्टोव आदि चीजें नहीं थी और मिट्टी के चूल्हे पर खाना बनाया जाता था. चूंकि नीचे फर्श पर चूल्हा रखा होता था जिसकी वजह से नीचे बैठकर ही भोजन बनाना संभव था. वहीं यदि आप इसे ज्योतिष दृष्टि से देखें तो जमीन पर बैठकर खाना बनाने के कई सारे फायदे मिलते हैं. जिसकी वजह से पुराने समय में इसी प्रक्रिया का पालन करते हुए खाना बनाया जाता था. आइए भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश चौरे से इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.
सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण
प्राचीन काल में रसोई घर में चूल्हा फर्श पर ही होता था और उस समय जब अग्नि प्रज्वलित होती थी तो पृथ्वी और अग्नि के साथ में आने से सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता था लेकिन आज की मॉडर्न किचन में ऐसा नहीं होता.
अन्नपूर्णा का वास होता था
पहले के समय में रसोई घर में बैठकर पकाया जाता था और बैठने की मुद्रा में कई देवी-देवताओं के स्थाई होने का आभास होता है. ऐसा माना जाता है कि बैठकर खाना बनाने से मां अन्नपूर्णा का वास बना रहता था.
आर्थिक स्थिति और ग्रहों की मजबूती
जब प्राचीन काल में रसोई घर में महिलाएं खाना बनाती थीं, खास तौर पर बहू या बेटी जिन्हें लक्ष्मी का रूप माना गया है. ऐसे में किचन में बैठकर खाना बनाने से आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहती थी. साथ ही इस तरह खाना बनाने से कुंडली में मौजूद नवग्रह भी मजबूत होते थे.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 11:50 IST