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कुंडली में कर लिया होता इस योग का मिलान तो नहीं जाती राजा की जान, उज्जैन के आचार्य ने बताया शास्त्रों का रहस्य


शुभम मरमट,उज्जैन: शादी केवल सामाजिक रस्म नहीं, बल्कि ज्योतिषीय संतुलन और आध्यात्मिक मिलन भी है. हिन्दू धर्म में कुंडली मिलान एक आवश्यक परंपरा मानी जाती है, खासकर जब बात हो मांगलिक दोष की. वर्षों से यह धारणा रही है कि अगर किसी की कुंडली में मांगलिक दोष हो और वह किसी गैर मांगलिक से विवाह कर ले, तो वैवाहिक जीवन संकटों से घिर सकता है.

लेकिन क्या यह सच्चाई का पूरा पहलू है? उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज कहते हैं “नहीं, हर मांगलिक दोष अशुभ नहीं होता, न ही हर गैर-मांगलिक विवाह खराब होता है. समाधान है और समाधान उज्जैन में है.”

मांगलिक दोष, डर या दिशा?
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यदि लड़के या लड़की की कुंडली में मंगल ग्रह दूसरे, चौथे, सातवें, आठवें या बारहवें भाव में स्थित हो, तो उसे मांगलिक दोष कहा जाता है. परंतु हर दोष जीवन को प्रभावित नहीं करता.

आचार्य भारद्वाज बताते हैं कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु, केतु, शनि जैसे ग्रह भी उन्हीं भावों में हों तो मंगल का प्रभाव निष्क्रिय हो सकता है. इसका अर्थ है कि कुछ विशेष योग मांगलिक दोष को नकारात्मक की बजाय तटस्थ या शुभ बना सकते हैं.

मंगल दोष का मोक्ष केंद्र
मंगल दोष शांति के लिए भारत में कई धार्मिक स्थल प्रसिद्ध हैं, लेकिन मंगलनाथ मंदिर, उज्जैन का स्थान अद्वितीय है. यह मंदिर न केवल मंगल ग्रह का जन्मस्थान माना जाता है, बल्कि यहां की भात पूजा विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है.

हर दिन सैकड़ों लोग अपने वैवाहिक जीवन को मंगलमय बनाने के लिए यहां पूजा करवाते हैं. भात पूजा में चावल चढ़ाकर भगवान मंगल को प्रसन्न किया जाता है, जिससे दोष का प्रभाव कम या समाप्त हो जाता है.

क्या गैर मांगलिक से विवाह संभव है?
आचार्य कहते हैं कि “मांगलिक विवाह का मतलब केवल डर नहीं है, बल्कि यह समझ और उपाय की मांग करता है. कुंडली में ग्रहों की स्थिति को देखकर यदि सही शांति विधि करवाई जाए तो गैर मांगलिक से विवाह न केवल संभव, बल्कि सफल भी हो सकता है.”

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