करीमनगर: अगर हम किसी सामान्य शिव मंदिर में जाते हैं, तो वहां हमें एक या दो शिवलिंग दिखाई देते हैं. लेकिन अगर हम कोटिलिंगला गांव में जाएं, तो वहां करोड़ों शिवलिंग खड़े होते हैं. यह मंदिर जगित्याला जिले के वेलागाथुर मंडल में स्थित है. इस अद्भुत स्थान का नाम कोटिलिंगला पड़ा, और इसके चारों ओर किले हैं, जो इसे और भी रहस्यमय बनाते हैं.
किलों का ऐतिहासिक महत्व
कोटिलिंगला गांव के उत्तर-पूर्व दिशा में एक किला स्थित है, जहां कोटेश्वर स्वामी विराजमान हैं. दक्षिण-पूर्व दिशा में भी एक किला है, जो कभी जैन मंदिर हुआ करता था. यह किला सातवाहन साम्राज्य के संस्थापक श्रीमुखु के समय में प्रसिद्ध हुआ. यहां ऋषि-मुनि गोदावरी नदी में स्नान करने के बाद तपस्या के लिए कोटा जाते थे. यह स्थान उनके लिए आस्था और तप का केंद्र था.
शिवलिंग की खोज और अद्भुत घटना
एक दिन, ऋषियों के मन में विचार आया कि अगर वे किसी शिवलिंग की पूजा करें तो उनके तप को और भी पुण्य मिलेगा. जब वे शिवलिंग की खोज कर रहे थे, तभी उनके सामने अंजनेयस्वामी आए. उन्होंने अंजनेयस्वामी से पूछा कि वे क्या ढूंढ रहे हैं. अंजनेयस्वामी ने बताया कि संतों ने उनसे एक शिवलिंग लाने को कहा था. लेकिन लिंग लाने में देर हो रही थी, इस पर ऋषि-मुनि ने निर्णय लिया कि वे गोदावरी नदी से रेत लेकर आएंगे और उसे शिवलिंग के रूप में स्थापित करेंगे.
रेत से शिवलिंग की स्थापना
ऋषि-मुनि गोदावरी नदी में स्नान करने के बाद एक मुट्ठी रेत लेकर उत्तर-पूर्व दिशा की ओर गए और उस रेत के कणों को शिवलिंग के रूप में स्थापित किया. वे रेत के करोड़ों कण लाए और उन्हें पूजा के रूप में प्रतिष्ठित किया. इसी बीच अंजनेयस्वामी काशी से एक शिवलिंग लेकर लौटे. ऋषि-मुनियों ने अंजनेयस्वामी से कहा कि हम स्वयं गंगा से रेत लेकर सैकत लिंग स्थापित कर चुके हैं, अब आपके लाए हुए शिवलिंग को स्थापित करने की आवश्यकता नहीं है.
अंजनेयस्वामी का क्रोध
यह सुनकर अंजनेयस्वामी क्रोधित हो गए और उन्होंने काशी से लाए हुए शिवलिंग को फेंक दिया. अंजनेयस्वामी ने कहा कि अब वे काशी के शिवलिंग की पूजा करने के बाद, हमारे द्वारा स्थापित सैकत लिंग की पूजा करेंगे. आज भी यह परंपरा चली आ रही है कि जो लोग कोटिलिंगला के दर्शन के लिए आते हैं, वे पहले काशी के शिवलिंग की पूजा करते हैं और फिर सैकत लिंग का अभिषेक करते हैं.
कोटि दीपोत्सव: एक विशेष पर्व
हर साल कार्तिक महीने में यहां कोटि दीपोत्सव का आयोजन किया जाता है, जो इस स्थान के महत्व को और भी बढ़ाता है. यह कार्यक्रम भक्तों के लिए एक अद्भुत अनुभव बनता है, जहां वे करोड़ों शिवलिंगों के दर्शन करते हैं और दिव्यता का अनुभव करते हैं.
FIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 12:25 IST