अरविन्द दुबे/सोनभद्र: सोनभद्र जिले के घोरावल इलाके में भगवान शिव का ऐसा मंदिर है, जहां शिवलिंग की नहीं बल्कि साक्षात शिव-पार्वती की पूजा होती है. उमामहेश्वर का यह मंदिर शिव और पार्वती को समर्पित है. शिवद्वार धाम में भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी देवी पार्वती भी विराजमान हैं. उमामहेश्वर की यह प्रतिमा ही अपने आप में अलग है. श्रद्धालु इनके दर्शन-पूजन से भगवान शिव शंकर और देवी पार्वती अपने भक्तों की मुरादें पूरी कर देते हैं. यहां पर हजारों की संख्या में भक्त शिवद्वार धाम जल चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं.
बहुत खास है मंदिर
इस मंदिर को धार्मिक महत्व के कारण दूसरी काशी और गुप्त काशी के रूप में मानते हैं. चार राज्यों से सटा यह जिला हमेशा किंवदंतियों रहस्यों और साधना का केंद्र रहा है. प्राकृतिक संपदा, रहस्य, मंदिर, पौराणिक और ऐतिहासिक किले, खूबसूरत झरने और रोमांचित कर देने वाली अविश्वसनीय कथाओं की चर्चा शुरू होती है.
उमा महेश्वर मन्दिर की कहानी
जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर घोरावल में उमा महेश्वर मन्दिर है. यह मंदिर शिव और पार्वती को समर्पित है. किंवदंतियों के अनुसार एक किसान के खेत में हल चलाने के दौरान उमा महेश्वर की मूर्ति मिली थी. यह विशाल मंदिर भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती को समर्पित है. इस मंदिर के गर्भगृह में देवी पार्वती की 11 वीं सदी की काले पत्थर की मूर्ति स्थापित की गई है, जो अपने आप में ही अद्भुत नजर आती है.
दूसरी काशी मानते हैं लोग
काले पत्थर से निर्मित प्रतिमा करीब तीन फीट ऊंची और लश्या शैली में है. इसे सृजन का स्वरूप भी माना जाता है. यह विशाल प्रतिमा उस काल के शिल्प कौशल के बेहतरीन नमूने और शानदार कला का प्रदर्शन करता है. यह मंदिर क्षेत्र के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में से एक है. इस क्षेत्र के निवासी इस मंदिर को धार्मिक महत्व के कारण दूसरी काशी के रूप में मानते है. आज शिव भक्तों के लिए शिवद्वार धाम आस्था का केंद्र बन चुका है. यहां मंदिर परिसर में श्रद्धालु अपनी मुरादे पूरी होने पर कथा के साथ-साथ मुंडन, शादी जैसे आयोजनों के लिए भी आते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 19:52 IST