Monday, October 7, 2024
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गणपति बप्पा के आगमन पर बनाए गए इको-फ्रेंडली मखर, तीन महीने में हुए तैयार


मुंबई: गणपति बप्पा के आगमन में अब कुछ ही दिन बचे हैं, और मुंबई के बाजार गणेश उत्सव की तैयारियों में रंग-बिरंगे मखरों और सामग्रियों से सजे हुए हैं. इस बार नानासाहेब शेंडकर, जो इको-फ्रेंडली पेपर मखर बनाने के लिए प्रसिद्ध हैं, ने मखरों के माध्यम से महाराष्ट्र के किलों के संरक्षण का संदेश भी दिया है.

किले के आकार में बनाए छोटे छोटे मखर
शेंडकर ने किलों की प्रतिकृतियों के रूप में छोटे-छोटे मखर बनाए हैं, जिससे किलों के विकास और संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का प्रयास किया जा रहा है. मुंबई के लोगों ने इन अनोखे मखरों को खूब सराहा है. महाराष्ट्र में किलों की बिगड़ती हालत को देखते हुए, शेंडकर अपनी कला के जरिए इन्हें संरक्षित करने की पहल कर रहे हैं.

दीवाली में बनाई जाती है लालटेन की थीम
पहले दिवाली में शेंडकर ने किलों की थीम पर आधारित लालटेनें बनाई थीं और अब गणेश उत्सव के लिए किलों के मखर तैयार किए हैं. इन मखरों में सिंधुदुर्ग और रायगढ़ किले की प्रतिकृतियां प्रमुख हैं. शेंडकर ने सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडलों के लिए 100 किले-थीम वाले मखर तैयार किए हैं, जबकि घर के गणेशजी के लिए 200 छोटे मखर बनाए हैं.

मखर बनाने में लगता है 3 महीने का समय
इन मखरों को बनाने में करीब तीन महीने का समय लगा और इसमें 150 से 200 कारीगरों का योगदान रहा. छोटे घरेलू मखरों की कीमत 250 रुपये से शुरू होकर 4,500 रुपये तक जाती है, जबकि 12 बाई 12 के बड़े मखर के लिए कीमत 19,000 रुपये है.

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