खरगोन. सितंबर का महीना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसमें सनातन धर्म के कई प्रमुख व्रत और त्योहार मनाए जाएंगे. गणेश चतुर्थी, हरतालिका तीज, और पितृ पक्ष जैसे पर्वों के साथ, यह माह श्रद्धालुओं के लिए विशेष रहेगा. व्रतों और पूजा-पाठ के इस पावन माह में भक्तगण पूरी आस्था के साथ पर्वों को मनाकर अपने आराध्य देवी-देवताओं की उपासना करेंगे. आइए जानते हैं सितंबर माह में मनाए जाने वाले प्रमुख व्रत, त्योहारों की तिथियां और महत्व.
> 01 सितंबर (रविवार) – पर्यूषण पर्व प्रारंभ, मासिक शिवरात्रि: पर्यूषण जैन धर्म का प्रमुख पर्व है, और मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का दिन है.
> 02 सितंबर (सोमवार) – भाद्रपद अमावस्या: इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान का विशेष महत्व है.
> 06 सितंबर (शुक्रवार) – वाराह जयंती, हरतालिका तीज: वाराह जयंती भगवान विष्णु के वाराह अवतार का दिन है, और हरतालिका तीज पति की लंबी आयु के लिए किया जाने वाला व्रत है.
> 07 सितंबर (शनिवार) – गणेश चतुर्थी: यह भगवान गणेश के जन्म का पर्व है, जो ज्ञान और समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं.
> 08 सितंबर (रविवार) – ऋषि पंचमी: सप्त ऋषियों की पूजा का दिन, जो महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है.
> 09 सितंबर (सोमवार) – स्कंद षष्ठी: भगवान कार्तिकेय की पूजा का पर्व, जो विशेष रूप से दक्षिण भारत में मनाया जाता है.
> 10 सितंबर (मंगलवार) – ललिता सप्तमी: यह दिन देवी ललिता की पूजा का होता है, जिन्हें शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है.
> 11 सितंबर (बुधवार) – राधा अष्टमी: राधा रानी के जन्मोत्सव का पर्व, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है.
> 12 सितंबर (गुरुवार) – ज्येष्ठ गौरी विसर्जन: इस दिन ज्येष्ठ गौरी की मूर्ति का विसर्जन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.
> 14 सितंबर (शनिवार) – परिवर्तिनी एकादशी: यह एकादशी भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है.
> 15 सितंबर (रविवार) – वामन जयंती, ओणम: वामन जयंती भगवान विष्णु के वामन अवतार का दिन है, और ओणम दक्षिण भारत का प्रमुख फसल पर्व है.
> 16 सितंबर (सोमवार) – विश्वकर्मा पूजा: निर्माण और शिल्प के देवता विश्वकर्मा की पूजा का दिन है.
> 17 सितंबर (मंगलवार) – अनंत चतुर्दशी: भगवान अनंत (विष्णु) की पूजा का पर्व और गणेश उत्सव का समापन दिन है.
> 18 सितंबर (बुधवार) – श्राद्ध पक्ष प्रारंभ: इस दिन से पितरों को समर्पित श्राद्ध पक्ष की शुरुआत होती है.
> 21 सितंबर (शनिवार) – विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी: संकटों को दूर करने के लिए भगवान गणेश की विशेष पूजा का दिन है.
> 24 सितंबर (मंगलवार) – कालाष्टमी: भगवान काल भैरव की पूजा का दिन, जो संकट नाशक माने जाते हैं.
> 25 सितंबर (बुधवार) – जीवित्पुत्रिका व्रत: संतान की लंबी आयु और समृद्धि के लिए रखा जाने वाला विशेष व्रत है.
> 27 सितंबर (शुक्रवार) – इंदिरा एकादशी: पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाने वाला व्रत है.
> 29 सितंबर (रविवार) – प्रदोष व्रत: भगवान शिव की उपासना का दिन, विशेष रूप से संध्या के समय पूजा की जाती है.
> 30 सितंबर (सोमवार) – मासिक शिवरात्रि, त्रयोदशी श्राद्ध: मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का दिन है, और त्रयोदशी श्राद्ध पितरों की शांति के लिए किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 10:46 IST
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