वाराणसी : तुलसी के पौधे को भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक महत्व दिया गया है. प्रमुख रूप से भारत में तुलसी की 5 प्रजातियां पाई जाती हैं- रामा तुलसी, श्यामा तुलसी, विष्णु तुलसी, वन तुलसी और नींबू तुलसी . हालांकि रामा तुलसी, श्यामा तुलसी आसानी से मिल जाती है. अक्सर लोग तुलसी के पत्तों को चाय में डालकर पीते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी की सभी प्रजातियां चाय के लिए उपयुक्त नहीं होतीं? इस सवाल का जवाब देते हुए काशी के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि श्यामा तुलसी की पत्तियों को चाय में नहीं डालना चाहिए. इसके पीछे वैज्ञानिक और धार्मिक दोनों ही आधार हैं.
गौरतलब है कि श्यामा तुलसी में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं. श्यामा तुलसी की पत्तियों में अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में ज़्यादा गर्मी पैदा कर सकते हैं. इस कारण यह पाचन तंत्र के लिए हानिकारक हो सकती है, खासकर गर्मियों के मौसम में.
श्यामा तुलसी के उपयोग का धार्मिक आधार
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी श्यामा तुलसी का उपयोग अधिकतर पूजा-पाठ में किया जाता है. इसका संबंध भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण की पूजा से जुड़ा हुआ है. इसलिए इसे चाय जैसी दैनिक उपयोग की चीजों में डालना अनुचित माना जाता है. वहीं, रामा तुलसी का उपयोग धार्मिक कार्यों के अलावा स्वास्थ्य के लिए भी किया जाता है, और इसे चाय में डालना सुरक्षित माना जाता है.इसलिए, अगर आप चाय में तुलसी डालना चाहते हैं, तो रामा तुलसी का उपयोग करें, जिससे स्वास्थ्य को लाभ होगा और किसी भी तरह का नुकसान नहीं होगा.
रामा तुलसी के पत्तों का उपयोग
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि आयुर्वेद में तुलसी को ‘सर्वरोग निवारिणी’ कहा गया है, जिसका अर्थ है कि यह हर रोग को ठीक करने की क्षमता रखती है. रामा तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर पीने से पाचन में सुधार होता है, जबकि श्यामा तुलसी का उपयोग अधिकतर औषधीय मिश्रणों में किया जाता है. तुलसी का तेल भी त्वचा रोगों के इलाज में उपयोगी होता है.
FIRST PUBLISHED : August 20, 2024, 19:40 IST