अभिषेक जायसवाल/ वाराणसी: भाद्रपद माह की शुरुआत हो गई है. द्वापर युग में इसी महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पूरे देश में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाया जाता है. इस दिन लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है और हर घर में उनका जन्म होता है. पंचांग के अनुसार इस बार जन्माष्टमी के दिन कई अद्भुत संयोग भी बन रहे हैं.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि 26 अगस्त को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से अष्टमी तिथि की शुरुआत हो रही है, जो अगले दिन 27 अगस्त को सुबह 6 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगा. 26 अगस्त को ही रात में 9 बजकर 10 मिनट से रोहिणी नक्षत्र भी शुरू हो रही है, जो अगले दिन रात्रि में 8 बजकर 20 मिनट तक रहेगा.
26 अगस्त को मनाया जाएगा जन्माष्टमी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मध्य रात्रि में हुआ था. इस बार यह सभी योग 26 अगस्त को मिल रहे है. इसलिए जन्माष्टमी का महापर्व 26 तारीख दिन सोमवार को ही मनाया जाएगा.
कट जाते हैं तीन जन्म के पाप
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन जयंति नामक योग का निर्माण भी हो रहा है. विष्णु धमोत्तर पुराण के अनुसार जयंति नामक योग में चतुर्भुज भगवान श्री कृष्ण की पूजा कमल का फूल अर्पण कर करने से तीन जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते है.
FIRST PUBLISHED : August 21, 2024, 14:11 IST
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