ऋषिकेश: भाद्रपद अमावस्या हिंदू पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की अमावस्या को कहते हैं. इसे पितृ अमावस्या भी कहते हैं क्योंकि इस दिन पितरों के तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का विशेष महत्व होता है. कहा जाता है कि इस दिन स्नान, दान और ध्यान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
खासतौर पर गंगा स्नान, पवित्र नदियों में स्नान, और तीर्थ स्थानों पर पूजा करने का विशेष फल मिलता है. भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है, इसलिए इस दिन लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पूजा-पाठ करते हैं और अन्न, वस्त्र, व्रत और दान का आयोजन करते हैं.
कब है भाद्रपद अमावस्या
Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि भाद्रपद अमावस्या, जिसे पितृ अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है. पंचांग के अनुसार, 2024 में भाद्रपद अमावस्या 2 सितंबर को पड़ रही है. यह तिथि पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. भाद्रपद अमावस्या पर किए गए कर्म से पितृ दोष का निवारण होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. 2024 में यह दिन पूर्वजों की कृपा और आशीर्वाद पाने का शुभ अवसर लेकर आएगा. इस दिन का विशेष महत्व पितरों की आत्मा की शांति और उनके उद्धार के लिए होता है.
पितृ दोष से निवारण के उपाय
पुजारी शुभम ने बताया कि इस अवसर पर लोग पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म, और पिंडदान करते हैं, जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य, और व्रत रखने का महत्व बताया गया है. भाद्रपद अमावस्या पर किए गए दान और धार्मिक कार्यों से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और पितरों की कृपा बनी रहती है.
इन चीजों का रखें ध्यान
पूजा के समय काले तिल, जौ, दूध, चावल, और जल का प्रयोग करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और अन्न, वस्त्र, और धन का दान करें. पीपल के वृक्ष की पूजा कर उस पर जल अर्पित करें. इस दिन व्रत रखने और धार्मिक अनुष्ठान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष का निवारण होता है.
FIRST PUBLISHED : August 29, 2024, 09:32 IST
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