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जीवन की हर परेशानी का होगा अंत, सोमवार को रखें पशुपतिनाथ व्रत, लेकिन इन नियमों का ध्यान रखना है जरूरी


हाइलाइट्स

पशुपतिनाथ का व्रत लगातार 5 सोमवार तक किया जाता है.पहले सोमवार से आखिरी सोमवार तक के बीच में कोई भी सोमवार छूटना नहीं चाहिए.

Rules Of Pashupati Nath Vrat : भगवान शिव को लेकर कहा जाता है कि, वे अपने भक्तों की थोड़ी सी भक्ति से ही खुश हो जाते हैं. इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है. इसके अलावा उन्हें शंकर और महादेव के नाम भी जाना जाता है. पशुपतिनाथ भी उनके नामों में से एक है, जिसका अर्थ है ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले समस्त पशुओं के नाथ यानी के समस्त जीवन के देवता. पशुपतिनाथ के लिए व्रत रखने का भी बड़ा महत्व है. ऐसा माना जाता है कि यदि कोई भी व्यक्ति सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ पशुनाथ का व्रत करता है और विधि-विधान से पूजा करता है तो उसको सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है. उसके सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही उसके घर में खुशहाली आती है और जीवन सुख-समृद्धि से भर जाता है. इस व्रत के कुछ नियम भी होते हैं जिनका पालन करना जरूरी होता है, आइए जानते हैं इनके बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.

इन नियमों का रखें ध्यान
यदि आप पशुपतिनाथ व्रत रख रहे हैं तो आपको बता दें कि, यह व्रत लगातार 5 सोमवार तक किया जाता है. इसका मतलब यह कि पहले सोमवार से आखिरी सोमवार तक के बीच में कोई भी सोमवार छूटना नहीं चाहिए. इसके अलावा आपको यह भी ध्यान रखना है कि पहले सोमवार की पूजा जिस मंदिर में की है उसी मंदिर में अगले चारों सोमवार की भी पूजा करना होती है.

ये हैं व्रत रखने के नियम
– व्रती को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए.
– नित्य कर्मादि से निवृत्त होकर स्नान करें.
– इस दिन साफ-सुथरे वस्त्र पहनें.
– व्रती को इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
– व्रती को दिनभर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए.
– आप भगवान शिव के मंत्रों का जाप करते रहें.
– इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें.
– इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, मांस, का सेवन नहीं करना चाहिए.
– इस दिन शराब या किसी भी तरह के नशे से दूर रहना चाहिए.
– व्रत के दौरान यदि आपको कोई परेशानी हो तो व्रत तोड़ सकते हैं.

व्रत का उद्यापन कैसे करें
– पशुपतिनाथ व्रत की शुरुआत सोमवार से करना होती है. वहीं इसका समापन पांचवें सोमवार को करना चाहिए.
– भगवान शिव की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं और विशेष पूजा करें.
– जब आप व्रत का उद्यापन करें तो ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं.
– व्रती को ध्यान रखना चाहिए कि उद्यापन वाले दिन दान जरूर करें.

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