नई दिल्ली. महाभारत में द्रौपदी को पांचाली के नाम से भी जाना जाता है. द्रौपदी 5 पांडवों की पत्नी थीं और पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री थीं. महाभारत की कथाओं के मुताबिक महाभारत के मुख्य किरदारों में से एक द्रौपदी अग्नि से जन्मी थीं. द्रौपदी महाभारत का एक ऐसा महिला किरदार है, जिसकी दृढ़ता के आगे बड़े-बड़े बलवान नतमस्तक हुए थे. प्रात: स्मरणीय 5 कन्याओं में द्रौपदी का भी नाम है, जिन्हें चिर-कुमारी कहा जाता है. द्रौपदी को कृष्णेयी, पांचाली, अग्निसुता, कृष्णेयी जैसे कई नामों से भी जाना जाता है. लेकिन उनके जन्म के समय ही उनके पिता ने उनके लिए जीवनभर का कष्ट मांगा था. जानिए आखिर क्या है महाभारत का का ये किस्सा.
जब पाण्डव और कौरवों की शिक्षा पूरी हुई तो उन्होंने द्रोणाचार्य को गुरु दक्षिणा लेने की बात कही थी. लेकिन द्रोणाचार्य को पांचाल नरेश द्रुपद के द्वारा किया गया अपना अपमान याद आता है और वह राजकुमारों से कहते हैं कि उन्हें गुरु-दक्षिणा में पांचाल नरेश द्रुपद चाहिए, जो द्रौपदी के पिता थे. ऐसा हुआ भी, इसके बाद अर्जुन ने द्रुपद को बन्दी बना लिया और गुरु द्रोणाचार्य के सामने पेश किया था. अर्जुन ने उनके आधे राज्य को जीतकर ऋषि द्रौण को दे दिया था. तभी से गुरु द्रोण और द्रुपद के बीच दुश्मनी शुरू हुई थी. इसी बदले को पूरा करने के लिए द्रुपद पुत्र प्राप्ति की इच्छा से एक बड़ा यज्ञ करते हैं. यहीं से शुरू होती हैं द्रौपदी के जन्म की कहानी.
द्रौपदी के जन्म पर दी पिता ने मांगा था जीवनभर का कष्ट
किंवदंतियों में कहा जाता है कि जब पुत्र प्राप्ति के लिए द्रुपद ने यज्ञ का आयोजन किया तो उन्हें आहूति देने के बाद पुत्र धृष्टधुम्न की प्राप्ति हुई थी. पुत्र को देख राजा द्रुपद अत्यंत प्रसन्न हुए. उनका ये पुत्र कवच-कुंडल और अस्त्रों के साथ पैदा हुआ था. लेकिन इसी यज्ञ से द्रुपद को एक पुत्री भी ईश्वर के प्रसाद के रूप में प्राप्त हुई. पुत्र की प्राप्ति के लिए ये यज्ञ करने वाला द्रुपद, पुत्री नहीं चाहता था. इसलिए उसने यज्ञ में आहुति देने से मना कर दिया. लेकिन देवताओं के हठ के कारण वह यज्ञ अधूरा छोड़कर वापस नहीं जा सका और पुत्री पाने के लिए उन्होंने आहूति दी. लेकिन हर आहुति में अपनी पुत्री के लिए अनेकों अनेक कष्ट मांग लिए. यज्ञ से उत्पन्न होने के कारण ही द्रौपदी को यज्ञसेनी भी कहा जाता है.
पुत्र प्राप्ति के लिए द्रुपद ने यज्ञ का आयोजन किया तो उन्हें आहूति देने के बाद पुत्र धृष्टधुम्न की प्राप्ति हुई थी.
द्रुपद की यही पुत्री द्रौपदी उनकी चहेती बेटी बनी, लेकिन पिता यज्ञ के समय ही अपनी बेटी के लिए जीवनभर के कष्ट मांग चुका था. यही कारण है कि पांडवों की पत्नी होते हुए भी वनवास, अज्ञातवास, चीर हरण से लेकर महाभारत जैसा भीषण युद्ध देखने और अपनी संतानों को मरता देखने तक, द्रौपदी ने जीवन भर कष्ट भुगते. द्रौपदी ने कदम-कदम पर दुख देखे.
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 12:18 IST