कहा जाता है कि परशुराम का जन्म ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए हुआ था.उनके कई कार्य प्रशंसनीय थे, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें चिरंजीवी का वरदान दिया था.
Lord Parshuram : हिन्दू धर्म में भगवान परशुराम को श्रीहरि विष्णु का छठवां अवतार माना जाता है. वे महादेव के अनन्य भक्तों में से एक थे और उनकी गाथा सतयुग से लेकर कलयुग तक सुनने को पढ़ने को मिलती हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम का जन्म ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए हुआ था. बेहद क्रोधी स्वभाव वाले परशुराम युद्ध कला में भी माहिर थे. उन्होंने महाभारत युद्ध के बड़े योद्धा भीष्म पितामह के अलावा द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे कई योद्धाओं को शिक्षा दी थी.
कहा जाता है कि परशुराम का जन्म ऋषि-मुनियों की रक्षा के लिए हुआ था और उनके कई कार्य प्रशंसनीय थे, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें चिरंजीवी का वरदान दिया था. ऐसा कहा जाता है कि परशुराम आज भी धरती पर कहीं ना कहीं मानवरूप में जीवित हैं. आइए जानते हैं चिरंजीवी परशुराम के बारे में भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
कैसे पड़ा परशुराम नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं. परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था और बचपन से ही वे भगवान शिव की भक्ति में लीन रहने लगे थे. महाभारत और विष्णु पुराण के अनुसार, परशुराम जी का मूल नाम राम था. चूंकि, वे भगवान शिव के अनन्य भक्त थे इसलिए एक बार उन्हें भगवान शिव ने परशु नामक अस्त्र प्रदान किया था और यह अस्त्र मिलने के बाद से ही वे परशुराम कहलाए थे.
भगवान गणेश पर किया था प्रहार
ग्रंथों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि महादेव के भक्त होने के चलते परशुराम एक बार जब उनसे मिलने कैलाश पर्वत गए तो भगवान गणेश ने उन्हें रोक दिया था जिससे क्रोधित होकर परशुराम ने उन पर अपने सस्त्र परशु से प्रहार कर दिया था जिससे उनका एक दांत टूट गया था और तभी से वे एकदंत कहलाए. रामायण में भी वे सीता जी के स्वयंवर में आए थे और भगवान राम का अभिनंदन किया था.
चिरंजीवी हैं परशुराम
पुराणों के अनुसार, परशुराम ने ही भगवान कृष्ण को सुदर्शन चक्र उपलब्ध कराया था. इसके अलावा महाभारत काल में उन्होंने उन्होंने भीष्म, द्रोण व कर्ण शास्त्र विद्या दी थी. ऐसा कहा जाता है कि, परशुराम भगवान राम के समय, भगवान कृष्ण के समय और महाभारत के समय भी थे. साथ ही ऐसा उल्लेख है कि वे कलिकाल के अंत में रहेंगे. क्योंकि, महादेव ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था.
FIRST PUBLISHED : September 26, 2024, 18:04 IST