धाराशिव: श्री रामलिंग बालाघाट पर्वत श्रृंखला की गोद में स्थित है, जो मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है. धाराशिव जिले के येदशी में भगवान महादेव का एक प्राचीन मंदिर है. वास्तुकला का अद्भुत आविष्कार इस मंदिर में हमेशा शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है. यहां पूरे महाराष्ट्र से श्रद्धालु आते हैं. रामलिंग के बारे में रामायण काल की एक कथा प्रचलित है और रामलिंग देवस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष हेमंत सचेत ने इस बारे में जानकारी दी है.
रामायण से जुड़ी है रामलिंग की कहानी
रामायण काल में माता सीता को ले जा रहे रावण को जटायु दल ने रोका था. रामलिंग पर जटायु और रावण के बीच भयंकर युद्ध हुआ. इसमें जटायु घायल हो गए लेकिन जब श्रीराम सीता माता की खोज में उस स्थान पर आए तो उन्होंने घायल जटायु को देखा. जटायु ने भगवान राम को इस स्थान की सारी घटना बताई. घायल जटायु को पानी पिलाने के लिए राम ने तीर चलाया और वहां से पानी बहने लगा. बाद में जटायु की मृत्यु हो गई और इसी स्थान पर उनका अंतिम संस्कार किया गया. कहा जाता है कि यहीं पर जटायु की समाधि भी है.
भगवान राम ने की थी शिवलिंग की स्थापना
जब भगवान राम सीता की खोज में यहां आए तो उनकी इच्छा शिव की पूजा करने की हुई. तब उन्होंने एक शिवलिंग की स्थापना की. उनके साथ वानरों की सेना भी थी. एक कहानी यह भी बताती है कि इस शिवलिंग को रामलिंग के नाम से जाना जाता है. इस क्षेत्र में अब भी बड़ी संख्या में बंदर रहते हैं.
रामलिंग क्षेत्र को बना दिया गया है अभयारण्य
रामलिंग क्षेत्र को अभयारण्य घोषित किया गया है. इसलिए इस क्षेत्र में पशु-पक्षियों की बड़ी आवाजाही रहती है. वन विभाग ने भी बड़ी संख्या में पौधे लगाए हैं. यहां के प्राचीन शिव मंदिर के साथ-साथ झरना और समृद्ध प्रकृति भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं. इसलिए, बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन के लिए इस स्थान पर आते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 27, 2024, 12:01 IST