देवघर. हर महीने के दो पक्ष होते है. वही अश्विन माह का कृष्ण पक्ष पितृपक्ष तिथि के नाम से जाना जाता है.यह 15 या 16 दिन पितृ को समर्पित रहता है. इन तिथियां में बिहार के गया में या फिर कई सारे पवित्र स्थान में अपने पितरों के नाम से तर्पण,श्राद्ध,पिंडदान इत्यादि किया जाता है. माना जाता है कि पितृपक्ष में धरती पर वास करते हैं और जैसे ही उनका तर्पण श्राद्ध या पिंडदान किया जाता है. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है और स्वर्ग लोक सीधारते हैं. तर्पण करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और वंश को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
पितृपक्ष में सभी का तर्पण किया जाता है चाहे वह जवान, बुढ़ा या महिला हो. लेकिन अगर किन्ही कारण वस नवजात शिशु की मृत्यु हो जाए तो क्या उसका भी तर्पण किया जा सकता है? क्या वह भी पितृ बनते हैं जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से.
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य :
ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने जानकारी देते हुए कहा कि अपने पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए या खुद पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष का महीना सबसे उत्तम होता है. इसमें अगर पितरों के नाम से तर्पण किया जाता है तो पितृ प्रसन्न होते हैं और सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. इस पितृ पक्ष मे हर व्यक्ति चाहे वो किसी भी उम्र मे उनकी मिर्त्यु हुई हो सबका श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान किया जा सकता है.यहां तक की अगर किसी अप्रिय घटना या कोई कारणवस नवजात शिशु की मृत्यु हो जाए तो वह भी पितृ बनता है.
मृत बच्चे का करें सिर्फ तर्पण
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जब कोई बच्चा या नवजात शिशु की किसी कारणवस मृत्यु हो जाती है तो वह प्रेत योनि मे चला जाता है. जब तक उसके नाम से तर्पण नहीं किया जाता तब तक वह प्रेत योनि मे ही रहता है. तर्पण करने के बाद वह पितृ बनता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए तर्पण करना अति आवश्क होता है. नवजात शिशु का सिर्फ तर्पण करना चाहिए श्राद्ध या पिंडदान नहीं करना चाहिए.
इस तिथि में करें श्राद्ध
पितृपक्ष मे बच्चे का मृत तिथि के अनुसार ही तर्पण करना चाहिए. अगर तिथि ज्ञात ना हो तोह त्रयोदशी तिथि में ही तर्पण करना चाहिए.इससे मोक्ष की प्राप्ति होती है.
FIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 14:53 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.