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नोट करें जन्माष्टमी पूजा विधि, इस बार 45 मिनट तक रहेगा द्वापर युग जैसा संयोग, कमा लीजिए ‘महापुण्य’


नर्मदापुरम. मान्यता है कि भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 26 अगस्त को मनाई जा रही है. साथ ही, जन्माष्टमी के दिन अद्भुत संयोग भी बन रहा है. ज्योतिषाचार्य पंडित पाठक ने Bharat.one को बताया कि इस दिन जयंती योग बन रहा है, जो द्वापर युग में श्रीकृष्ण जन्म के समय बना था.

आगे बताया कि ये योग जन्माष्टमी को और भी खास बना रहा है. साथ ही, सर्वार्थ सिद्धि योग भी इस दिन रहेगा. जन्माष्टमी की पूजा के लिए सबसे शुभ समय 26 अगस्त की मध्यरात्रि 12:01 से 12:45 बजे तक का है. इस बार पूजा का समय केवल 45 मिनट का होगा. इस साल चंद्रमा वृषभ राशि में और रोहिणी नक्षत्र में होगा, ठीक वैसे ही जैसे द्वापर युग में श्रीकृष्ण के जन्म के समय था. जयंती योग और सर्वार्थ सिद्धि योग के कारण यह दिन और भी शुभ माना जा रहा है.

जन्माष्टमी पूजा विधि
जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजन करने के लिए सबसे पहले पूजा स्थल को साफ-सुथरा कर लें. चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रख लें. इसके बाद चौकी के ऊपर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर उनके सामने कल्पवृक्ष स्थापित करें. फिर श्रीकृष्ण के चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा आदि रखें. इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं. फिर उन्हें साफ कर स्वच्छ पीले वस्त्र पहनाएं. भगवान श्रीकृष्ण का चंदन, रोली और अबीर से श्रृंगार करें. साथ ही, श्रीकृष्ण की अष्टमी तिथि की रात को ही पूजा करनी चाहिए. उन्हें फल, मिठाई और अन्य चीजें अर्पित करें. भगवान की विधिवत आरती करें. श्रीकृष्ण मंत्रों का जाप करें. फिर पूजन कर प्रसाद वितरण करें.

जन्माष्टमी पूजा सामग्री
श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र, धूप, दीप, फूल, चंदन, रोली, अबीर, गंगाजल या नर्मदा जल, तुलसी का पत्ता, मौसमी फल, मिठाई, नैवेद्य, पंचामृत, कलश, पूजा की थाली, चौकी, लाल कपड़ा, रक्षा सूत्र शामिल करें. आप जन्माष्टमी के शुभ मुहूर्त में भगवान श्री कृष्ण जी की इस विधि से पूजा कर सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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