मथुरा: भारत में पर्वों का विशेष महत्व है, और उनमें से जन्माष्टमी का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह त्योहार न केवल भारत में, बल्कि विश्व के विभिन्न कोनों में धूमधाम से मनाया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पहली जन्माष्टमी किसने मनाई थी, और क्या वास्तव में भगवान कृष्ण का जन्म रात के बारह बजे ही हुआ था? इन सवालों को लेकर अक्सर बहस होती है. ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलांग ने इस विषय पर विस्तार से चर्चा की और इन प्रश्नों के उत्तर दिए.
ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलांग के अनुसार, “पहली जन्माष्टमी का उत्सव स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के बाल्यकाल में उनके माता-पिता, वासुदेव और देवकी ने मनाया था. हालांकि उस समय यह उत्सव मौन और सादगी से मनाया गया, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कारागार में हुआ था. वासुदेव और देवकी ने इस विशेष दिन पर भगवान का जन्मोत्सव मनाया, लेकिन बिना किसी धूमधाम के, क्योंकि कंस का भय उन पर छाया हुआ था.”
गोपियों ने किया था पहला भव्य आयोजन
भगवान कृष्ण के बाल्यकाल में जब वे गोकुल पहुंचे, तो वहां की गोपियों ने पहली बार जन्माष्टमी का भव्य आयोजन किया. यह पहली बार था जब इस उत्सव को खुलेआम मनाया गया, जिसमें गोकुल की पूरी जनता ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया. गोपियों ने इस दिन कृष्ण के बाल स्वरूप का पूजन किया और गीत-नृत्य के साथ भगवान के जन्म का उत्सव मनाया.
रात के बारह बजे जन्म की सच्चाई
भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय को लेकर कई धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताएं हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तैलांग बताते हैं कि “शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को आधी रात के समय हुआ था. इसे ‘रोहिणी नक्षत्र’ के तहत बताया गया है. इस समय का महत्व इसलिए है क्योंकि यह समय ‘विष्णु काल’ का होता है, जो दिव्य ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि कृष्ण का जन्म रात 11:45 बजे हुआ था.”
धार्मिक और ज्योतिषीय आधार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं अपने जन्म के समय का चयन किया था ताकि वे मानवता को अधर्म से मुक्ति दिला सकें. उनका जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ, जो शांत और स्थिरता का प्रतीक है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात के बारह बजे ग्रहों की स्थिति भगवान कृष्ण के जन्म के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इस समय सूर्य, चंद्रमा और रोहिणी नक्षत्र की स्थिति बहुत ही शुभ होती है.
जन्माष्टमी का महत्व
जन्माष्टमी का पर्व केवल भगवान कृष्ण के जन्म का उत्सव ही नहीं है, बल्कि यह अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक भी है. इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और रात बारह बजे भगवान कृष्ण की आरती कर उनका जन्मोत्सव मनाते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 24, 2024, 08:34 IST
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