ऋषिकेश: पितृ पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, और दान करना शुभ माना जाता है. श्राद्ध कर्म में तर्पण और पिंडदान शामिल होते हैं, जो पवित्र जलाशय में किया जाता है. इस अवधि में घर की पवित्रता और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है. दान में अन्न, वस्त्र, और दक्षिणा देना महत्वपूर्ण है. विशेष भोजन बनाकर पितरों को अर्पित किया जाता है और फिर इसे ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को खिलाया जाता है. वहीं पितृ पक्ष में कुछ जीव जंतुओं को खिलाना भी शुभ माना जाता है.
Bharat.one के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि पितृ पक्ष हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण समय होता है, जिसमें पूर्वजों (पितरों) का स्मरण और उनकी आत्मा की शांति के लिए कर्म किए जाते हैं. इस अवधि में श्राद्ध, तर्पण, और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं.
ऐसे मिलेगा उनका आशीर्वाद
पितृ पक्ष को “महालय” भी कहा जाता है, और यह आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष में आता है. इस दौरान पितरों को अन्न, वस्त्र, और जल अर्पित कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है.पितृ पक्ष का मुख्य उद्देश्य पितरों की आत्मा को तृप्त करना और उनके आशीर्वाद से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करना है. वहीं पितृ पक्ष में गाय, कुत्ता, कौआ और साथ ही चीटी को खिलाना शुभ माना जाता है.
कुत्ता, गाय, चीटी और कौआ को भोजन कराने के फायदे
पितृ पक्ष में कुत्ते, गाय, कौआ और चींटी को भोजन कराना अत्यधिक शुभ माना जाता है. इन प्राणियों को खिलाना पितरों को संतुष्ट करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है. कुत्ता यमराज का प्रतीक माना जाता है, और इसे भोजन देने से पितरों को शांति मिलती है. गाय को हिंदू धर्म में माता के समान माना जाता है, और इसे खिलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है, साथ ही जीवन में समृद्धि आती है.
आत्मा को शांति
कौआ पितरों का प्रतिनिधि माना जाता है, और इसे भोजन देने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है. चींटी को खिलाना अहिंसा का प्रतीक है और इससे पुण्य की प्राप्ति होती है. यह विश्वास है कि इन जीवों को भोजन देने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है. पितृ पक्ष में इन कार्यों से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और पितरों की कृपा प्राप्त होती है.
FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 09:28 IST
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