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पितृ पक्ष के दौरान यम की दिशा में जलाएं दीपक, 2 बातों का रखें ध्यान! पितृदोष से मिलेगी मुक्ति


ऋषिकेश: सनातन धर्म में पितृ पक्ष को बेहद खास माना जाता है. यह 16 दिनों तक चलता है और लोग इस दौरान अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान पिंड दान करना बहुत अच्छा माना जाता है. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. साथ ही जीवन की सभी मुश्किलों का अंत होता है. भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष शुरू होता है वहीं आश्विन अमावस्या को पितृ पक्ष खत्म होता है. पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 से शुरू हो रहे हैं. इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा.

पितृ पक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्मकांड करते हैं. मान्यता है कि इस समय पूर्वज धरती पर आते हैं और उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए उनके वंशज यह कर्म करते हैं. पितृ पक्ष के दौरान दान, अन्न और जल अर्पण का विशेष महत्व होता है, जिससे पूर्वजों की आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो सके. वहीं श्राद्ध कर्म के दौरान पूजा-पाठ के साथ-साथ नियमित रूप से दीपक जलाने का भी विशेष महत्व बताया गया है.

पितृ पक्ष के दौरान पूजा पाठ का महत्व
ऋषिकेश स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि इस साल 2024 में पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहे हैं. इसका समापन 2 अक्टूबर 2024 को होगा. यह अवधि भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक होती है. इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक कर्म किए जाते हैं, जिनका उद्देश्य पितरों की आत्मा को संतुष्ट करना और उनके आशीर्वाद प्राप्त करना होता है.

इस दिशा में जलाएं दीपक
पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि पितृ पक्ष में पूजा-पाठ का विशेष महत्व है क्योंकि इसे पूर्वजों की आत्माओं की शांति और तृप्ति के लिए किया जाता है. इस अवधि के दौरान, लोग तर्पण, पिंडदान, और श्राद्ध जैसे अनुष्ठानों का आयोजन करते हैं. पितृ पक्ष के दौरान दीपक जलाने की दिशा का विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि में दीपक को दक्षिण दिशा में जलाना शुभ माना जाता है. दक्षिण दिशा यम का निवास स्थान मानी जाती है और यम देवता पितरों के अधिपति होते हैं. इस दिशा में दीपक जलाने से पूर्वजों की आत्माओं को प्रकाश प्राप्त होता है, जिससे वे संतुष्ट होकर परिवार को आशीर्वाद देते हैं. दीपक जलाते समय उसमें तिल का तेल और एक सूत की बाती का प्रयोग करना चाहिए. यह भी मान्यता है कि इस दिशा में दीपक जलाने से पितृ दोषों का निवारण होता है और घर में शांति बनी रहती है.

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