उज्जैन. हिन्दू धर्म में पितृपक्ष का बड़ा महत्व है. हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृपक्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से प्रारंभ होता है. आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर खत्म हो जाता है. इन 15 दिनों के दौरान लोग पितरों को याद कर उनके निमित्त तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करते हैं. लेकिन इस बार पितृ पक्ष के दूसरे दिन ही चंद्र ग्रहण का साया है. इस दौरान अजीब स्थिति बन रही है. दरअसल, पितृपक्ष में दूसरे दिन ही चंद्र ग्रहण का साया रहेगा. पितृपक्ष की शुरुआत चंद्र ग्रहण के साथ हो रही है. ऐसे मे बहुत से लोगों के मन मे सवाल है कि इस दौरान पितृरो का तर्पण व पूजन करे या नहीं. आइए जानते हैं उज्जैन के पंडित आंनद भारद्वाज से इस दौरान क्या करें. जिससे पितरों के पूजन में कोई बाधा ना आए.
जानिए कब से शुरू और कब खत्म हो रहा है पितृ पक्ष
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि का आरंभ 17 सितंबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा. पूर्णिमा तिथि का समापन 18 सितंबर को सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर होगा. पूर्णिमा श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा. वहीं प्रतिपदा तिथि की श्राद्ध तिथि 18 सितंबर को पड़ रही है. बता दें कि श्राद्ध पक्ष प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, इसलिए 18 सितंबर से पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन और दान जैसे अन्य दूसरे कार्य किए जाएंगे.ऐसे में पितृ पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से हो रहा है, जो कि 2 अक्तूबर 2024 तक चलेगा.
भारत में चंद्र ग्रहण की तारीख और समय
इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर से प्रारंभ होंगे और 2 अक्टूबर तक चलेंगे. वहीं 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. साल का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समयानुसार 18 सितंबर को सुबह 06 बजकर 12 मिनट से शुरू होकर सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगा.
क्या भारत में दिखेगा यह चंद्र ग्रहण
साल के पहले चंद्र ग्रहण की तरह दूसरा चंद्र ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा. ये चंद्र ग्रहण दक्षिणी अमेरिका, पश्चिमी अफ्रीका और पश्चिमी यूरोप के देशों में दृश्यमान होगा.इस ग्रहण का भारत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, फिर भी श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि ग्रहण काल समाप्त होने तक उन्हें श्राद्ध नहीं करना चाहिए. उन्होंने ग्रहण के मोक्ष काल की समाप्ति के बाद ही प्रतिपदा का श्राद्ध शुरू करना ही ठीक रहेगा.
FIRST PUBLISHED : September 9, 2024, 15:55 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.