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पुणे: ऐतिहासिक कसबा गणपति की भव्य स्थापना, 132वें वर्ष का उत्सव


पुणे: हर साल सैकड़ों भक्त पुणे में भगवान गणेश के दर्शन के लिए आते हैं, और पुणे का पहला गणपति—कसबा गणपति—की स्थापना के साथ ही अन्य गणेश मूर्तियों की स्थापना शुरू होती है. कसबा गणपति, जो शिवकाल से चली आ रही परंपरा का प्रतीक माने जाते हैं, इस साल भी पारंपरिक चांदी की पालकी में पुणे के रास्ता पेठ से भव्य जुलूस के साथ विराजित किए गए. शहनाई, चौघड़े, बैंड-बाजे और ढोल-ताशा की धुन पर बप्पा का आगमन हुआ.

श्री कसबा गणपति, अष्टविनायकों में से एक, श्रीक्षेत्र सिद्धटेक देवस्थानम के प्रतीकात्मक मंदिर में विराजमान किए गए हैं. इस वर्ष, 7 सितंबर को सुबह 11:45 बजे, श्री सिद्धगिरि मठ, कोल्हापुर के मठाधीश और ट्रस्टियों द्वारा मूर्ति की स्थापना की गई. अब कसबा मंडल की ओर से महिलाओं के लिए 10 दिनों तक विभिन्न सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा.

महिलाओं पर अत्याचार न करने की दिलवाई जाएगी शपथ
महिला उत्पीड़न के खिलाफ शपथ और सामाजिक गतिविधियाँ कसबा मंडल के अध्यक्ष श्रीकांत शेटे ने बताया कि मंडल महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए आने वाले श्रद्धालुओं से शपथ दिलाएगा. यह शपथ न केवल अत्याचार न करने की होगी, बल्कि इसे सहन न करने की भी होगी. इसके साथ ही, कई अन्य सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.

पुणे के ग्राम देवता
ग्राम देवता कसबा गणपति का आकर्षक जुलूस कसबा गणपति, जिन्हें पुणे के ग्राम देवता माना जाता है, का जुलूस हमेशा की तरह आकर्षक रहा. इस साल, बप्पा की आंखों को खासतौर पर हीरे और माणिक से सजाया गया है, जिससे उनकी मूर्ति और भी भव्य दिखती है. यह गणपति छत्रपति शिवाजी महाराज के समय से प्रसिद्ध हैं. ऐसा कहा जाता है कि शिवाजी महाराज ने अपना बचपन इस मंदिर के पास लाल महल में बिताया था.

इस बीच, इस साल कसबा मंडल का 132वां वर्ष है, जो इस ऐतिहासिक परंपरा की गहराई और महत्वपूर्ण स्थान को दर्शाता है.

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