Monday, December 8, 2025
19 C
Surat

पूरे भारत में सिर्फ 2 ही ऐसी गाय हैं, शास्त्रों में भी जिक्र, सेवा करने से पूरे होते सभी काम


सनातन हिंदू धर्म में गऊमाता को माता का दर्जा दिया गया है. सदियों से गऊ को माता के रूप में पूजनीय माना गया है. आदिकाल से ही गऊ की पूजा और सेवा होती आई है. धार्मिक महत्त्व के साथ-साथ गाय के दूध, घी, मूत्र और गोबर का आयुर्वेद में भी महत्व बताया गया है. इतना ही नहीं, अब किसान भी गऊ आधारित खेती करने लगे हैं और अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं. यानी हर गाय कामधेनु से कम नहीं है. शास्त्रों में कामधेनु गऊ का विशेष महत्व बताया गया है. गऊ की सेवा से देवता भी प्रसन्न होते हैं और लोगों को इच्छित फल मिलता है. भावनगर जिले के कोबड़ी में स्थित सर्वेश्वर गौशाला में एक कामधेनु गऊ है. लोग इसके दर्शन कर धन्य महसूस करते हैं. कामधेनु गऊ 52 गुणों से सम्पन्न होती है. हर दो लाख गऊ में एक कामधेनु गऊ होती है. आइए, इस कामधेनु गऊ के बारे में जानें.

सर्वेश्वर गौशाला में कामधेनु गऊ का महत्त्व
सर्वेश्वर गौशाला के महंत जयदेवजी चरणजी महाराज ने लोकल18 को बताया, “कामधेनु गऊमाता का उल्लेख शास्त्रों में है. कहा जाता है कि हर दो लाख गऊओं में एक कामधेनु गऊ जन्म लेती है. यह गर्व और आश्चर्य का विषय है कि पूरे भारत में वर्तमान में दो ही जीवित कामधेनु गऊ हैं, जिनमें से एक तमिलनाडु में है और दूसरी यहाँ गुजरात की सर्वेश्वर गौशाला, कोबड़ी में है. शास्त्रों में भी इसका बहुत वर्णन किया गया है.”

कामधेनु गऊ के विशेष गुण
“वैसे तो हर गऊ कामधेनु के समान होती है, जिनकी यहां सेवा की जाती है. लेकिन कामधेनु गऊ में विशेष रूप से 52 गुण होते हैं. इस गऊ का गर्भाशय नहीं होता, और यह ऋतु में नहीं आती, जिससे इसे बाल ब्रह्मचारी और सदा पवित्र माना जाता है. इस कारण इसे भगवान के समक्ष मंदिर में रखा जाता है और इसकी पूजा की जाती है. शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि इस कामधेनु गऊ की 11 दिनों तक सेवा की जाए तो गऊमाता प्रसन्न होती हैं और इच्छित फल देती हैं. जब आप इसकी सेवा करते हैं और इसके नेत्रों से खुद आंसू बहने लगते हैं, तो समझें कि गऊमाता ने आपकी प्रार्थना स्वीकार कर ली है.”

कामधेनु गऊ के लिए विशेष प्रबंध
कोबड़ी स्थित सर्वेश्वर गौशाला में कामधेनु गऊ के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. इनके रहने और भोजन के लिए सभी सुविधाएं प्रदान की गई हैं. मंदिर में रहने के कारण इनकी हलचल कम रहती है, इसलिए इन्हें नियमित व्यायाम के लिए गौशाला में घुमाया जाता है. जैसे भगवान की सेवा की जाती है, वैसे ही इस कामधेनु गऊ की सुबह और शाम दोनों समय आरती की जाती है और इसका संपूर्ण शृंगार किया जाता है. जैसे भगवान को दोपहर का भोग अर्पित किया जाता है, उसी प्रकार कामधेनु गऊ को भी अलग से भोग अर्पित किया जाता है. इस प्रकार इसकी सेवा और पूजा निरंतर की जा रही है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img