हरिद्वार. हिंदू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार मनुष्य के गर्भधारण से लेकर मृत्यु तक कुल 16 संस्कार होते हैं. सनातन धर्म में इन सभी 16 संस्कारों का विशेष महत्व बताया गया हैं. यह सभी 16 संस्कार सनातन धर्म में करने बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं. ऐसे ही इन 16 संस्कारों में नामकरण संस्कार का विशेष महत्व होता है. इस संस्कार के जरिए छोटे बच्चों का नामकरण किया जाता हैं. बच्चों का नामकरण करने के लिए लघु कार्यक्रम आयोजित होता है जिसमें सगे-संबंधी, मित्र आदि को बुलाया जाता हैं.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नामकरण संस्कार करने का व्यक्ति पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है इसलिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही बच्चों का नाम उसके जन्म के समय, स्थान और तिथि की गणना करके की जाती है जिसके बाद बच्चे का नाम रखा जाता हैं. कई बार बच्चे के माता-पिता यूनिक नाम के चलते ऐसे नाम रख लेते हैं जिसका कोई अर्थ नहीं होता. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना अर्थ के नाम का कोई भी महत्व नहीं होता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, संतान के नाम में हमेशा अर्थ का होना जरूरी होता है. क्योंकि नाम का प्रभाव बच्चे के व्यक्तित्व पर भी पड़ता रहता है.
नामकरण संस्कार से पहले करें ये काम
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार धार्मिक जब बच्चा जन्म लेता है तो उसके जन्म के ठीक 10वें दिन बच्चों का नामकरण होता है लेकिन यदि किन्ही कारणों से बच्चों के माता या बच्चे का स्वास्थ्य ठीक ना हो तो इसे बाद में भी कराया जा सकता है. शास्त्रों के अनुसार बच्चे के जन्म के 10 वें दिन ही उसका नामकरण किया जाना जरूरी होता है. इस दिन सूतक का शुद्धिकरण करने के लिए हवन यज्ञ कराया जाता है जिसके बाद बच्चों का नामकरण संस्कार किया जाता हैं.
कब होता है नामकरण संस्कार ?
हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री ने Bharat.one को बताया कि सनातन धर्म में नामकरण संस्कार का बहुत अधिक महत्व होता है. नाम का प्रभाव बच्चों के भविष्य पर पड़ता है इसलिए बच्चों का नामकरण संस्कार पूरे विधि विधान से किया जाना चाहिए. आमतौर पर लोग किसी भी दिन बच्चों का नामकरण कर लेते हैं या फिर खुद ही बच्चों का नामकरण कर देते हैं ऐसा करने से बच्चों को भविष्य में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
नामकरण संस्कार का प्रभाव
पंडित श्रीधर शास्त्री ने शास्त्रों के अनुसार बच्चे के जन्म के दसवें दिन सूतिका के शुद्धिकरण के लिए यज्ञ कराने के बाद नामकरण संस्कार कराया जाता है. सोमवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ माना जाता है. लेकिन अमावस्या, चतुर्थी या अष्टमी तिथि के दिन नामकरण संस्कार करना शुभ नहीं माना जाता. जब बच्चे का नामकरण होता है तो एक लघु कार्यक्रम आयोजित किया जाता है जिसमें परिजन, सगे संबंधी, मित्र गण आदि को बुलाकर प्रतिभोज कराया जाता है. नामकरण संस्कार के दौरान सूतक से शुद्धिकरण के लिए हवन यज्ञ किया जाता है जिससे बच्चों की बल बुद्धि का विकास होता हैं.
Note: नामकरण संस्कार के बारे में पूरी जानकारी लेने के लिए आप हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री से उनके फोन नंबर 9557125411 और 9997509443 पर संपर्क कर सकते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 17, 2024, 13:06 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.