विशाल तिवारी /सुल्तानपुर: जिस तरह भारतीय पुराणों में देवी देवताओं का वर्णन किया गया है. उसी तरह पेड़-पौधों का भी भारतीयता और भारतीय संस्कृति में भव्य वर्णन किया गया है. जी हां आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे पेड़ की जिसको सनातन धर्म में विशिष्ट स्थान दिया गया है. दरअसल अपराजिता के पुष्प को लेकर लोग मानते हैं कि इसे घर पर लगाने से कोई भी व्यक्ति अपने किसी भी कार्य में असफल नहीं होता. बल्कि वह दिन प्रतिदिन उन्नति के मार्ग पर अग्रसर रहता है. माना जाता है कि यह फूल स्वर्ग से धरती पर आया. वास्तुशास्त्र में भी अपराजिता के पुष्प और पौधे के बारे में वर्णन किया गया है और इस पौधे के महत्व को बताया गया है.
सफलता का माना जाता है प्रतीक
धर्माचार्य विनोद पांडेय ने बताया कि अपराजिता पौधे के नाम से ही स्पष्ट हो जाता है कि यह पौधा विजय का प्रतीक है. वास्तुशास्त्र की मानें तो इस पौधे को घर में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है. साथ ही यह बाधाओं और चुनौतियों पर विजय के प्रतीक के रूप में कार्य करता है. इस पौधे के फूलों का रंग नीला होने के कारण यह हमेशा शांतिपूर्ण वातावरण बनाने में लोगों की मदद करता है.
अपराजिता पौधा लगाने से होती है धनवर्षा
अपराजिता पौधे का फूल यदि भगवान भोलेनाथ को अर्पित किया जाता है, तो यह घर में हमेशा समृद्धि का कारक बनता है. धर्माचार्यों द्वारा इस पौधे को सोमवार के दिन शिवलिंग पर चढ़ाने की सलाह दी जाती है. सिर्फ इतना ही नहीं नीले रंग का पुष्प भगवान विष्णु को भी अत्यंत प्रिय होता है. इसलिए इस पौधे को घर में किसी साफ स्थान पर ही लगाना चाहिए. इसके अलावा वायु को शुद्ध करने के लिए भी अपराजिता का पौधा घर में लगाने की सलाह दी जाती है.
इस दिशा में लगाएं अपराजिता
अगर आप घर में अपराजिता का पौधा लगाने की सोच रहे हैं, तो आपको इसे वास्तु विशेषज्ञों द्वारा सही दिशा में लगाने की सलाह दी जाती है. वास्तुशास्त्र के अनुसार इसे घर की पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाना चाहिए क्योंकि पूर्व और उत्तर-पूर्व दिशाएं हमेशा नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती है, इसलिए इस दिशा में यह पौधा लगाने से घर में हमेशा नई क्रियात्मक चीजों का आरंभ होता रहता है.माना जाता है कि यह फूल स्वर्ग से धरती पर आया.
FIRST PUBLISHED : September 29, 2024, 08:19 IST
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