अयोध्या: हिंदू पंचांग के अनुसार प्रति माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन महादेव और माता पार्वती की पूजा आराधना का विधान है. साथ ही मासिक शिवरात्रि का व्रत रखने से मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है. इस व्रत को विवाहित महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी करती हैं. मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव संग माता पार्वती की पूजा आराधना करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. साथ ही सुख और सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि आखिर कब है भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि, क्या है शुभ मुहूर्त और महत्व.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि वैदिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 1 सितंबर को रात्रि 3:40 से शुरू होकर अगले दिन 2 सितंबर को सुबह 5:21 पर समाप्त होगी. मासिक शिवरात्रि पर शिव शक्ति की पूजा आराधना की जाती है. अतः 1 सितंबर को भाद्रपद माह की मासिक शिवरात्रि का व्रत भी रखा जाएगा.
इतना ही नहीं मासिक शिवरात्रि पर कई दुर्लभ संयोग का निर्माण भी हो रहा है, जिसमें शिवयोग इस योग का निर्माण संध्या काल 5:51 से शुरू हो रहा है, जिसका समापन 6:20 पर होगा. इस योग में भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा आराधना करने से जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है.
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर भगवान शंकर माता पार्वती की पूजा आराधना करनी चाहिए. भगवान शंकर के शिवलिंग पर जल अभिषेक करना चाहिए. जलाभिषेक करते वक्त जल में भांग, धतूरा, बेलपत्र समेत भगवान शिव की प्रिय वस्तु को शामिल करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में आ रही तमाम तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही भगवान भोले प्रसन्न होते हैं.
FIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 10:45 IST
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