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महराजगंज में इस जगह से निकला था पंचमुखी नाग, आज भी मौजूद हैं साक्ष्य


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Panchmukhi Naag : पुजारी कहते हैं यहीं पर पुराने समय में लगा करता था राजा रत्नसेन का दरबार

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पंचमुखी

पंचमुखी नाग पोखरा

महराजगंज. उत्तर प्रदेश का महराजगंज जिला भारत और नेपाल के सीमा पर बसा है. ये जिला अपनी धार्मिक मान्यताओं के लिए अलग स्थान रखता है. इसके अलग-अलग हिस्सों में कई धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं.

ऐसा ही एक स्थल मौजूद है महाराजगंज जिले के निचलौल में, जहां राम जानकी मंदिर के पीछे एक पोखरा है. मंदिर का पूरा परिसर और पोखरा राजा रत्नसेन से जुड़ा हुआ है. ये पोखरा राम जानकी मंदिर के ठीक पीछे है. हालांकि वर्तमान समय में इसमें पानी नहीं है.

इस पोखरे के सामने स्थित राम जानकी मंदिर के पुजारी ने Bharat.one को बताया कि इस पोखरे से ही पंचमुखी नाग निकले थे और यहीं से चलकर अलग-अलग जगह पर गए थे. एक बड़े एरिया में फैले इस पोखरे को देखकर ही समझा जा सकता है कि ये कितना पुराना है.

पुजारी कहते हैं कि इस पोखरे के बगल में ही एक प्राचीन गूलर का पेड़ है, जो इतना पुराना है कि उसकी उम्र कोई भी नहीं बात पाता है.

लोगों की भारी भीड़
निचलौल चौक मार्ग पर स्थित है पंचमुखी नाग मंदिर के पुजारी कहते हैं कि ये मंदिर जहां है पुराने समय में यहां पर राजा रत्नसेन का दरबार लगा करता था और इसके पीछे स्थित इस पोखरे से पंचमुखी नाग निकले थे. समय-समय पर यहां लोग इसे देखने के लिए आते हैं. सामने मंदिर परिसर में त्योहारों के अवसर पर कई आयोजन होते हैं. लोगों की भारी भीड़ रहती है.

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