उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं. रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना की जाती है. हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भगवान महाकाल की श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना करने से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं. भगवान महाकाल की रोजाना विशेष पूजा होती है. उन्हें सजाया जाता है और रोजाना ब्रह्म मुहूर्त में भगवान महाकाल की भस्म आरती होती है. बहुत से श्रद्धालु अपने घर पर महाकाल को चढ़ी हुईं भस्म ले जाते हैं. उसे घर में रखते है. इसके पीछे क्या मान्यता है. आइए जानिए महाकाल मंदिर के पुजारी यश गुरु से विस्तार से.
क्या कहना है मंदिर के पंडित का
भगवान महाकाल की भस्म आरती को लेकर पंडित यश गुरु बताते हैं कि भस्म आरती का एक और नाम मंगला आरती भी दिया गया है. मंगला आरती में बाबा हर रोज निराकार से साकार रूप धारण करते हैं. बाबा भस्म को संसार को नाशवान होने का संदेश देने के लिए लगाते हैं. इसके लिए बाबा ताजी भस्म शरीर पर धारण करते हैं. भस्म आरती में गाय के गोबर का जो उपला होता है, उसकी भस्म बाबा को अर्पण की जाती है. बाबा को जब भस्म अर्पण की जाती है तो पांच मंत्रों के उच्चारण के साथ कि जाती है. ये पांच मंत्र हमारे शरीर के तत्व हैं, इसके उच्चारण के साथ ही व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है.
महाकाल की भस्म घर मे रखने के पीछे मान्यता
महाकाल मंदिर के पुजारी यश गुरु ने बताया कि भस्म आरती में गाय के गोबर का जो उपला होता है. जिनके दुवारा शुद्ध 5 कंडे की राख की रहती है. उससे महाकाल का स्नान होता है. भगवान को चढ़ी हुईं भस्म बहुत से लोग अपने साथ ले जाते है.यह भस्म जो तैयार होती है. वो पवित्र गाय के गोबर का जो उपला होता है उसकी होती है. शास्त्रों मे बताया गया है. गौ माता का जो गोबर रहता है. वह बहुत ही पवित्र रहता है. उसमे माँ लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए बहुत से लोग यह भस्म को घर ले जाते है. मान्यता है कि भस्म को घर मे रखने से माँ लक्ष्मी का सदा वास बना रहता है और इससे सुख-समृद्धि का वास होता है.
क्या है सच्चाई
बाबा महाकाल के भस्म आरती के दर्शन करने लोग दूर दूर से आते हैं. बहुत से श्रद्धालुओं को यह लगता है कि बाबा पर भस्म चिता की ताजी राख से होती है और बाबा का श्रृंगार होता है या आरती होती है. लेकिन ऐसा नहीं है. यश पुजारी ने बताया बाबा कि जो आरती होती है उसे मंगला आरती कहा जाता है और जो भस्म रहती है वो शुद्ध 5 कंडे की राख की रहती है. बाबा की भस्म आरती नहीं होती, भस्म से बाबा का स्नान होता है. आरती तो दीपक ज्योत से होती है.
पूजा घर में भस्म रखने का विधान
महाकाल की भस्म को हमेशा पवित्र स्थान मे रखना चाहिए. इस भस्म को पूजा घर में रखने के लिए विशेष विधान होता है. इसे किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ वस्त्र में लपेटकर रखना चाहिए. हर दिन इसे भगवान शिव की पूजा के समय विशेष रूप से स्पर्श करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए. इससे परिवार में शांति और समृद्धि का वास होता है.
FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 16:31 IST
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