आगरा: देवों में प्रथम पूज्य गणपति बप्पा शनिवार को घर-घर में विराजमान हो गए हैं. आज हम आपको आगरा के गोकुलपुरा में बने 261 साल पुराने ऐतिहासिक सिद्धि विनायक मंदिर की कहानी बताने जा रहे हैं. इस मंदिर में भगवान गणपति की चंदन की लकड़ी से बनी मूर्ति है और उस मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाया जाता है. ऐसा बेहद कम देखने को मिलता है कि भगवान गणपति पर सिंदूर चढ़ाया जाता हो. यहां गणेश उत्सव की शुरुआत मराठा सरदार महादजी सिंधिया द्वारा कराई गई थी.
मुगल काल में हुई थी स्थापना
माना जाता है कि मंदिर की स्थापना मुगल काल में वर्ष 1646 में हुई थी. मराठा सरदार महादजी सिंधिया ने वर्ष 1760 में मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था. उस समय उन्होंने मंदिर में पीपल का वृक्ष भी लगाया था, जो मंदिर परिसर में आज भी मौजूद हैं. उस समय वह ग्वालियर के शासक थे और आगरा प्रवास के दौरान जब भी आते थे.
वह इस मंदिर में पूजा अर्चना जरूर करते थे. इस मंदिर का इतिहास मुगलों और अंग्रेजों से जुड़ा है. कई बार मुगलों ने इस मंदिर पर आक्रमण भी किया और इसे तोड़ने की कोशिश की गई, लेकिन समय के साथ यह मंदिर आज भी मौजूद है.
चंदन की पालकी पर विराजमान हैं सिद्धि विनायक
कालांतर में यह मंदिर सिद्धि विनायक के नाम से प्रसिद्ध हो गया. गुजराती नागर और मराठा परिवारों की आस्था के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित इस मंदिर में आगरा प्रवास के दौरान वो नियमित पूजन−अर्चन कराते रहे. स्थानीय लोग बताते हैं कि महादजी सिंधिया ने ही गणेश चतुर्थी के दिन मंदिर से शाही संरक्षण में धूमधाम से गणेश शाेभायात्रा की शुरूआत करायी थी.
आज भी मंदिर में भगवान गणेश की 100 साल से ज्यादा पुरानी प्रतिमा है, जो चंदन के सिंहासन पर विराजमान है. चंदन से बनी पालकी पर भगवान गणेश को नगर भ्रमण कराया जाता है और उनकी शोभायात्रा भी निकाली जाती है. 56 प्रकार का भोग लगाया जाता है. 10 दिन अलग-अलग तरह के अनुष्ठान होते हैं. गन्ने का रस से अभिषेक किया जाता है. भक्तों में इस मंदिर की अलग ही मानता है.
मंदिर खुलने का समय
मंदिर खुलने का समय सुबह 5:00 बजे 1:00 बजे तक दोपहर 2:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक खुला रहता है. आपको एमजी रोड से राजा मंडी बाजार में आना है राजा मंडी बाजार से मनसा देवी गोकुलपुरा गली में पहुंचना है. जहां पर सिद्धि विनायक मंदिर है.
FIRST PUBLISHED : September 7, 2024, 09:49 IST