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‘मेरे सामने न‍िर्वस्‍त्र आओ…’, महाभारत के युद्ध में जब बि‍छ रही थीं लाशें, गांधारी का ये वरदान बदल सकता था नियति


महाभारत, इतिहास का सबसे बड़ा युद्ध माना जाता है. इस युद्ध में धर्म की जीत हुई थी. कौरवों को अधर्मी कहा गया, जबकि पांडवों को धर्म का पालन करने वाले योद्धा के रूप में जाना गया. इस कथा की पात्र गांधारी को सबसे शक्तिशाली रानी के रूप में जाना जाता है, जो राजा धृतराष्ट्र की पत्नी और दुर्योधन की मां थीं. धृतराष्ट्र जन्म से अंधे थे. इसलिए, गांधारी ने अपने पति के अनुभवों को जानने के लिए अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली थी.  कौरवों की माता गांधारी भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं. उन्हें भगवान शिव से वरदान मिला था. यह तब काम आने वाला था जब महाभारत के युद्ध में लाशें बिछ रही थीं. क्या था वो वरदान जिससे अधूरा रह जाता पांडवों का वचन…

पौराणिक कथाओं के अनुसार, गांधारी को भगवान शिव से यह वरदान मिला था कि जब वो कभी अपने आखों की पट्टी खोलकर जिसको भी देखेंगी उसका शरीर पूरा लोहे का बन जाएगा. तभी महाभारत युद्ध के दौरान उन्होंने अपने बड़े बेटे दुर्योधन को बचाने के लिए उसे निर्वस्त्र बुलाया. अगर यहां भगवान कृष्ण अपनी चाल न चलते तो पांडवों का द्रौपदी को दिया हुआ वचन पूरा नहीं हो पाता और महाभारत की कहानी कुछ और ही होती.

क्या थी कृष्ण की चाल? 
गांधारी ने पुत्र मोह में आकर अपने अधर्मी पुत्र को बचाने के लिए पट्टी खोलने का फैसला लिया, ताकि उसका पुत्र वज्र का बन जाए और युद्ध में उसे कोई भी पराजित न कर पाए. गांधारी ने दुर्योधन से कहा था कि “तुम मेरे सामने बिना किसी वस्त्र के आना. शरीर पर कुछ भी नहीं होना चाहिए.” तभी कृष्ण दुर्योधन के पास जाते हैं और कहते हैं कि “तुम्हें तुम्हारी माता पहली बार देखेंगी और तुम उनके सामने इस अवस्था में जाओगे?” इसलिए शर्म की वजह से दुर्योधन ने कमर पर केले का पत्ता लपेट लिया था, जिससे उसकी जंघा और कमर लोहे की नहीं बन पाई थी. दुर्योधन की यही गलती उसके अंत का कारण बन गई.

पांडवों का वचन
पांडवों ने दुर्योधन को वचन दिया था, कि वह युद्ध में उसकी जंघा को तोड़ देंगे. शरीर तो लोहे का बन गया था, दुर्योधन पहले से ज्यादा शक्तिशाली बन चुका था, लेकिन उसकी एक भूल से पांडवों ने उसकी जंघा को तोड़ दिया. द्रौपदी के चीरहरण पर दुर्योधन ने उन्हें अपनी जंघा पर बैठने के लिए कहा था. उन्हें दासी कहकर संबोधित किया और कहा था कि जो मैं कहूंगा वो करना पड़ेगा. इसी हरकत से पांडव क्रोध से भर गए थे.

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