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Mauni Amavasya Katha: मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है, इस दिन स्नान और दान से पुण्य मिलता है. पौराणिक कथा के अनुसार, गुणवती के पति की रक्षा के लिए सोमा धोबिन ने अपने पुण्य दान किए, जिससे उसके पति जीवित हो गए.

मौनी अमावस्या व्रत कथा.
इस साल मौनी अमावस्या 29 जनवरी बुधवार को है. इस दिन स्नान और दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. भगवान विष्णु की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख और समृद्धि आती है. उसके पाप मिटते हैं और वह मोक्ष की प्राप्ति करता है. मौनी अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि करते हैं. गृहस्थ और साधु-संन्यासी मौनी अमावस्या के दिन व्रत रखते हैं और पूजन करते हैं. पूजा के समय आपको मौनी अमावस्या की व्रत कथा सुननी चाहिए. इससे आपका व्रत पूर्ण होगा और आपको पुण्य फल प्राप्त होगा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं मौनी अमावस्या की व्रत कथा के बारे में.
मौनी अमावस्या व्रत कथा
मौनी अमावस्या की पौराणिक कथा के अनुसार, कांचीपुरी में देवस्वामी का एक ब्राह्मण परिवार रहता था. उसकी पत्नी का नाम धनवती था. दोनों के 7 बेटे थे और एक बेटी थी, जिसका नाम गुणवती थी. गुणवती जब बड़ी हुई तो उसके पिता ने सबसे छोटे बेटे को उसकी कुंडली दी और ज्योतिषी के पास भेजा, ताकि उसकी विवाह के लिए लड़का देखा जाए. ज्योतिषी ने बताया कि गुणवती विवाह के बाद विधवा हो जाएगी. यह जानकर उसके पिता देवस्वामी और माता धनवती दुखी हो गए. उस ज्योतिषाचार्य ने बचने का उपाय बताया.
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि सिंहल द्वीप में सोमा धोबिन रहती है, जो बहुत ही पतिव्रता है. यदि सोमा धोबिन तुम्हारे घर आकर पूजा करे और अपना अर्जित पुण्य दान कर दे तो गुणवती का सुहाग बच जाएगा ओर वह दोष मिट जाएगा. यह जानकर देवस्वामी ने बेटी गुणवती को सबसे छोटे बेटे के साथ सोमा धोबिन के घर सिंहल द्वीप भेजा. दोनों भाई और बहन घर से निकलकर सोमा के घर की ओर चल दिए. दोनो समुद्र के किनारे पहुंचे और उसे पार करने के बारे में सोचने लगे.
दोनों को भूख और प्यास लगी थी, दोनों एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए. उस पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार भी रहता था. गिद्ध के बच्चों ने गुणवती और उसके भाई की बातों को सुन लिया. गिद्ध के बच्चों ने अपनी मां को गुणवती और उसके भाई के बारे में बताया. तब गिद्धों की माता ने अपने बच्चों को भोजन कराया और गुणवती के पास गई. उसने कहा कि तुम्हारी समस्या का हल हो जाएगा. परेशान मत हो, तुम्हें सोमा धोबिन के घर पहुंचा दूंगी. गिद्ध माता की बातें सुनकर दोनों भाई और बहन खुश हो गए. अगली सुबह गिद्ध माता ने गुणवती और उसके भाई को समुद्र पार कराया और सोमा धोबिन के पास ले गई.
गुणवती सोमा धोबिन के घर के पास ही रहने लगी. रोज सुबह सोमा के घरवालों के उठने से पहले ही गुणवती उसके घर को लीप देती थी. एक दिन सोमा ने अपनी बहू से पूछा कि रोज घर कौन लीपता है? तब उसने कहा कि उसके अलावा ये काम कौन करेगा. सोमा को विश्वास नहीं हुआ और वह पूरी रात जागती रही. सुबह होते ही उसने देखा कि एक युवती उसके आंगन में आई और आंगन की सफाई करके लीपने लगी.
तभी सोमा उसके पास आई और पूछा कि तुम कौन हो और ऐसा क्यों कर रही हो? तब गुणवती ने अपने आने का कारण बताया और पूरी बात बताई. इस पर सोमा ने कहा कि तुम्हारे पति की रक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ घर चलूंगी. एक दिन सोमा गुणवती के घर गई, उस दिन गुणवती का विवाह हुआ. ज्योतिषाचार्य के बताए अनुसार विवाह होते ही गुणवती के पति की मृत्यु हो गई. तब सोमा ने पूजा पाठ किया और अपने पुण्य को गुणवती को दान कर दिया. इसे उपाय से गुणवती का पति जीवित हो गया.
उधर सोमा के पति और बेटे की मृत्यु हो गई. जब तक सोमा घर पहुंची, तब तक उसके पति और बेटे के शव को रखा गया था. रास्ते में सोमा ने एक जगह पर रुककर पीपल के पेड़ के नीचे श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा की थी और 108 बार उस पेड़ की परिक्रमा की थी. इससे अर्जित पुण्य से सोमा के पति और बेटे जीवित हो गए थे. वे अकाल मृत्यु से मुक्त हो गए थे.
जो भी व्यक्ति विधि विधान से मौनी अमावस्या का व्रत करता है, उसे भगवन विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में सुख और समृद्धि आती है.
January 25, 2025, 08:38 IST
मौनी अमावस्या के दिन पढ़ें यह व्रत कथा, जीवन में बढ़ेगी सुख-समृद्धि