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यूनेस्को भी मुरीद! बिना लाइट और माइक के शुरू हुई विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला, देखने पहुंचते हैं काशी नरेश


वाराणसी: काशी के रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला शुरू हो गई है. इस लीला के शुरू होने के साथ चुप रहो, सावधान की आवाज भी गूंजने लगी है. रामलीला के पहले दिन लंका नरेश रावण का जन्म हुआ. रावण के जन्म से धरती कांप उठी. वहीं, लीला के दूसरे दिन अयोध्या में प्रभु श्री राम जन्म लेंगे. रामनगर में होने वाली यह लीला कई मायनों में बेहद खास है.

227 साल पुराने इस लीला को यूनेस्को ने भी वर्ल्ड हेरिटेज सूची में माना है. वहीं, काशी में 227 साल पहले शुरू हुई ये लीला आज भी उसी पुराने स्वरूप में होती है. जहां बिना स्टेज और लाइट साउंड से पेट्रोमैक्स की रोशनी में पूरे एक महीने तक यह लीला होती है. इसके साथ ही सुरक्षा की भी व्यवस्था की जाती है.

लीला देखने आते हैं काशी नरेश
इस रामलीला की खास बात यह है कि इसे देखने काशी नरेश खुद यहां आते हैं. वह भी पूरे शाही अंदाज और ठाठ बाट में हाथी पर सवार होकर. जहां पूरे एक महीने तक काशी नरेश इस लीला को हर रोज देखने आते हैं. बिना उनके यह लीला नहीं शुरू होती है.

5 किलोमीटर के इलाके में होती है लीला 
रामनगर में होने वाली यह लीला 5 किलोमीटर के इलाके में घूम-घूम कर होती है. एक दिन में ही अलग-अलग कई स्थानों पर इस लीला का मंचन होता है. इसके लिए रामनगर में अलग-अलग जगह तय होती है.

यहां होते हैं प्रभु राम के दर्शन
यहां नियमित लीला देखने वालों की मानें तो पूरे एक महीने तक स्वयं प्रभु श्री राम आते हैं और भक्तो को दर्शन देते है. खासकर लीला के अंतिम दिन जब चारों भाइयों का मिलन होता है. इसी कारण से अंतिम दिन यहां लाखों लोग आते हैं. 36 सालों से लीला देखने आ रहे राम नरेश यादव ने बताया कि यहां हर दिन अद्भुत अनुभूति मिलती है. इसलिए वह यहां लीला देखने आते हैं.

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