मथुरा: जहां कृष्ण हैं, वहीं राधा और जहां राधा हैं, वहीं कृष्ण. बृज में एक ऐसा मंदिर हैं. जहां भगवान अर्ध राधे के रूप में विराजमान हैं. यहां भगवान की आधी प्रतिमा का राधा के रूप में और आधा श्रृंगार कृष्ण के रूप में किया जाता है. यहां राधिका हाथों में मुरली धारण किए हुए हैं. कहा जाता है कि यहां दर्शन करने से भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती हैं, तो वह यहां बांसुरी का प्रसाद लगते हैं.
जानें राधा रानी के मंदिर का इतिहास
वैसे तो भगवान श्री कृष्ण और राधा की प्रतिमाओं को आपने अलग-अलग देखा होगा, लेकिन मथुरा में एक प्रतिमा ऐसी है, जो राधा-कृष्ण की झलक एक ही प्रतिमा में आपको देखने को मिलेगी. यहां राधा-कृष्ण का एक ही प्रतिमा में श्रृंगार किया जाता है. यहां भक्तों का उनके दर्शन के लिए तांता लगा रहता है.
जानें मंदिर के पुजारी ने क्या कहा
वहीं, अलबेली सरकार मंदिर के सेवायत पुजारी गौरांग शर्मा ने Bharat.one से बातचीत में बताया कि यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है. यहां पर राधा रानी के भक्त आराध्य के दर्शन करने आते हैं. उन्होंने बताया कि अलबेली सरकार नाम से यहां राधा-रानी को जाना जाता है. इतना ही नहीं यहां पर उनके भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है.
वहीं, गौरांग शर्मा ने बताया कि अलबेली सरकार नाम इसलिए रखा गया है कि कान्हा की मुरली राधा-रानी के हाथों में है. वह बांसुरी बजती हुई इस प्रतिमा में नजर आ रही है. इसलिए अलबेली सरकार के नाम से इस मंदिर को जाना जाता है. उन्होंने कहा कि जिस भक्त की मनोकामना पूर्ण हो जाती है. वह भक्त यहां आकर बांसुरी चढ़ाकर राधा रानी को प्रसाद अर्पित करता है.
कृष्ण-राधा का एक साथ किया जाता है श्रृंगार
मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पास स्थित यह राधा-रानी का मंदिर है. इसे अलबेली सरकार के नाम से जाना जाता है. जहां मंदिर में राधा के हाथों में कृष्ण की बंशी है. यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना माना जाता है. वहीं, मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु मांगे पूरी होने पर बांसुरी चढ़ाने पहुंचते हैं. यहां अर्ध कृष्ण के रूप में विराजमान राधा-कृष्ण का एक साथ श्रृंगार किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : September 15, 2024, 14:05 IST