गोंडा: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में एक ऐसा मंदिर स्थित है, जिसका इतिहास जानकर आप हैरान हो जाएंगे. दरअसल गोंडा जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूरी पर स्थित पृथ्वीनाथ मंदिर है, जहां का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा है. इतना ही नहीं कहा जाता है कि यह मंदिर एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग वाला मंदिर है. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में इस मंदिर का इतिहास बताते हैं जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे.
दरअसल गोंडा जिले में पृथ्वीनाथ मंदिर का इतिहास रोचक है. पुरातत्व विभाग की जांच में इस मंदिर का शिवलिंग साढ़े छह सौ वर्ष पुराना माना जाता है. इतना ही नहीं इतिहासकारों के मुताबिक इस मंदिर का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है. मान्यता है कि द्वापर युग में पांडवों के अज्ञातवास के दौरान इस मंदिर की स्थापना की गई थी. मान्यता के अनुसार यहां दर्शन पूजन करने से सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं. इतना ही नहीं मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण भीम ने कराया था. गोंडा के आसपास के जिलों से भारी संख्या में भक्त भगवान शंकर का आशीर्वाद लेने के लिए इस मंदिर में पहुंचते हैं. महाशिवरात्रि और सावन माह में यहां प्रतिदिन लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ती है.
पृथ्वीनाथ मंदिर के पुजारी हनुमंत शरण तिवारी ने बताया कि यहां पर जलाभिषेक का विशेष महत्व है. यहां पर स्थापित शिवलिंग की ऊंचाई इतनी है कि एड़ी उठाकर ही जलाभिषेक किया जा सकता है. सावन मास भगवान भोलेनाथ का महीना माना गया है, इसलिए इस माह में पड़ने वाले सोमवार व शुक्रवार को भगवान शिव का पूजन करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.
पृथ्वीनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व:
मंदिर के महंत जगदंबा प्रसाद तिवारी ने बताया कि 5 पांडव मां कुंती के साथ अज्ञातवास में आए यहीं पर रहकर अपना जीवन-यापन करने लगे. यही पर बकासुर नामक राक्षस का वध भीम ने किया था. बकासुर राक्षस का वध करने के बाद भीम को ब्रह्महत्या का पाप लगा था. ब्रह्महत्या से मोक्ष पाने के लिए भगवान श्री कृष्ण के आदेश अनुसार लगभग साढ़े छह सौ वर्ष पूर्व द्वापर में इस शिवलिंग की स्थापना भीम के द्वारा की गई थी. उस समय इस मंदिर का नाम था भीमेश्वर महादेव. बाद में इस मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ा.
FIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 14:39 IST
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