बहराइच: जिले में स्थित सिद्धनाथ मंदिर, एक प्राचीन और ऐतिहासिक धार्मिक स्थल है. इसकी उम्र लगभग 5,000 वर्ष मानी जाती है. यह मंदिर पांडवों के अज्ञातवास काल से जुड़ा हुआ है और कहा जाता है कि धर्मराज युधिष्ठिर ने यहां भगवान सिद्धनाथ (शिव) की पूजा की थी. यह मंदिर न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि धार्मिक मान्यताओं से भी भरपूर है.
बहराइच के तराई क्षेत्र में स्थित यह मंदिर पांडव कालीन मंदिरों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिसमें सिद्धनाथ पीठ, जंगली नाथ, और गुल्लाबीर मंदिर शामिल हैं. पुराणों के अनुसार, द्वापर युग में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस स्थल पर शिवलिंग की स्थापना की थी और भगवान शिव की पूजा-अर्चना की थी. सिद्धनाथ मंदिर के महामंडलेश्वर स्वामी रवि गिरी महाराज के अनुसार, इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना धर्मराज युधिष्ठिर ने की थी. माना जाता है कि महाभारत काल में पाँचों पांडव यहाँ आकर शिव की आराधना करते थे, और आज भी इस स्थल पर लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मंदिर के दर्शन कैसे करें?
सिद्धनाथ मंदिर बहराइच शहर के ब्राह्मणीपुरा मोहल्ले में स्थित है. यह मंदिर बस स्टेशन से मात्र एक किलोमीटर और रेलवे स्टेशन से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. यहाँ आप पैदल, रिक्शा, या निजी साधन से आसानी से पहुंच सकते हैं. इस मंदिर का प्रबंधन श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा, काशी के जिम्मे है. मंदिर का समय-समय पर जीर्णोद्धार किया जाता रहा है, और वर्तमान में इसका विस्तारीकरण भी किया जा रहा है.
मंदिर की मान्यताएं
इस मंदिर की धार्मिक मान्यता है कि जो भक्त 21, 51, या 101 दिन तक भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कहा जाता है कि जो भक्त सच्चे दिल से भगवान शिव की पूजा करता है, भगवान उसकी सदैव रक्षा करते हैं और उस पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं.
सिद्धनाथ मंदिर बहराइच के लिए बेहद खास
सिद्धनाथ मंदिर बहराइच के धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां आकर भक्तजन भगवान शिव की आराधना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जलाभिषेक करते हैं. यह मंदिर न केवल स्थानीय निवासियों के लिए बल्कि दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है.
FIRST PUBLISHED : September 1, 2024, 13:50 IST
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