मंदिर के पुजारी गौतम कुमार ने कहा कि साल 1818 में क्षेत्र में हैजा महामारी फैल गई थी. इससे इलाकें में लगातार लोगों की मृत्यु हो रहा था. उसी समय घने जंगल में मिट्टी का दिवाल अपने आप प्रकट हुआ. जिसमे कई आकृति बनी थी. गांव में कई लोगो के ये सपने में आया कि यहां आकर पूजा अर्चना करो.