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राजस्थान के पाली में विराजमान हैं भगवान बल्लाल गणेश, जानें मंदिर की रोचक कहानी


पाली: राजस्थान के पाली शहर में स्थित बल्लालेश्वर गणपति मंदिर एक प्राचीन सिद्ध पीठ है. यह मंदिर रेलवे स्टेशन मार्ग पर लोर्डिया तालाब के पास, नागा बाबा बगेची में स्थित है. यह स्थान भगवान गणेश के एक प्रसिद्ध भक्त बल्लाल के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि भगवान गणेश यहां स्वयं अपने भक्त की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर प्रकट हुए थे.

बल्लालेश्वर गणपति मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन इसे सदियों पुराना माना जाता है. बल्लालेश्वर गणपति मंदिर का उल्लेख पुराणों में भी मिलता है. कहा जाता है कि यह मंदिर सिंध प्रांत जाने वाले मार्ग पर था, जो प्राचीन काल में पाली शहर से गुजरता था. इसी कारण से इस मंदिर को सिद्ध पीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है.

बल्लालेश्वर गणपति मंदिर की प्रतिमा है खास
मंदिर में विराजमान गणेश जी की मूर्ति पर सिंदूर का लेप है, और उनकी कमर में नाग लिपटा हुआ है. मूर्ति के मस्तक पर पांच नागों का मुकुट है, जो इसे अन्य गणेश प्रतिमाओं से अलग बनाता है. यह मूर्ति यहां पर सच्ची भक्ति के प्रतीक के रूप में स्थापित है. मंदिर के निर्माण के समय पुरानी प्रतिमा को बिना हटाए ही कार्य किया गया.

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कौन थे बल्लाल?
बल्लाल नामक गणेश भक्त ने कठोर तपस्या और भक्ति से भगवान गणेश को प्रसन्न किया था. बल्लाल की भक्ति के कारण भगवान गणेश यहां स्वयं प्रकट हुए और उन्हें बल्लालेश्वर नाम से पूजा जाने लगा. यह पौराणिक कथा आज भी श्रद्धालुओं को प्रेरित करती है, और मंदिर की विशेष मान्यता इसी से जुड़ी हुई है.

2017 में हुआ था मंदिर का पुनर्निर्माण
वर्ष 2017 में मंदिर का पुनर्निर्माण किया गया था. पुराने मंदिर के पास ही नया मंदिर बनाया गया, जिसमें शिव परिवार और मां अंबे की मूर्तियां भी स्थापित की गईं. नए मंदिर में भी पुरानी मूर्ति जैसी ही प्रतिमा विराजमान है, और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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