वाराणसी: यूपी के वाराणसी में रामनगर की रामलीला विश्वप्रसिद्ध है. इस ऐतिहासिक और अनोखे रामलीला में गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल भी दिखाई देती है. यहां धर्म और जाति के बंधन को छोड़ मुस्लिम परिवार भी रामलीला का हिस्सा बनते है. अपने सेवा के तौर पर वह इस ऐतिहासिक रामलीला में रोशनी करते है.
दरसअल, यह रामलीला आज भी पेट्रोमैक्स की रोशनी में होती है और पेट्रोमैक्स को जलाने और उसे लीला स्थल पर हर जगह लगाने का काम गयासुद्दीन का परिवार करता है. पूरे एक महीने तक गयासुद्दीन अपने बेटे के साथ इस लीला में शामिल होते है. गयासुद्दीन उर्फ ‘गाजी’ ने बताया को उनका परिवार चार पीढ़ियों से यहां काम करता चला आ रहा है.
8 घंट डेली करते है ड्यूटी
हर दिन इस रामलीला के लिए गयासुद्दीन और उनके बेटे रियाजुद्दीन दोपहर 2 बजे से ही जुट जाते हैं और रात 9 बजे जब लीला समाप्त होत है, उसके बाद वह अपने पेट्रोमैक्स को लीला स्थल से उतारने के बाद वापस ले जाते हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें यहां रामलीला में प्रभु श्रीराम की सेवा का अवसर मिलता है, जिससे वो बेहद खुश है.
अन्य मेलो में भी करते है रोशनी
रामनगर के इस लीला के अलावा गयासुद्दीन का परिवार शहर के अन्य लक्खा मेला जैसे भरत मिलाप, नक्कटैया और अन्य मेलों को भी वह पेट्रोमैक्स से रोशन करते है.जिससे इन मेलों की ऐतिहासिकता और पुरातन स्वरूप आज भी बना हुआ है. वाराणसी में पेट्रोमैक्स जलाने वाले अंगुली पर गिनकर कुछ लोग ही है, जिनमे से गयासुद्दीन का परिवार एक है.
पहले से कम हुई है डिमांड
रियाजुद्दीन ने बताया कि काशी के रामनगर की रामलीला और अन्य मेलो में आज भी पेट्रोमैक्स की जरूरत होती है, लेकिन पहले की तुलना में इसकी डिमांड अब न के बराबर है, लेकिन अपने संस्कृति को जीवंत रखने के लिए वो आज भी इस काम को करते है.
FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 13:02 IST