वाराणसी: बच्चों का नाम चुनना एक धार्मिक प्रकिया है. जिसे ज्योतिष शास्त्र की भाषा में नामकरण संस्कार कहते हैं . नाम का सीधा असर बच्चों के भविष्य पर पड़ता है. पुराने समय से लेकर आधुनिक युग तक अक्सर देखा जाता है लोग अपने बच्चों का नाम राम, लक्ष्मण, भरत तो रखते है लेकिन कंस, रावण और विभीषण जैसे नाम लोग भूलकर भी अपने बच्चों के नहीं रखते हैं. इसके पीछे धार्मिक आधार है.
काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि बच्चो के नाम का सीधा असर उसके भविष्य और भाग्य पड़ पड़ता है. हर नाम अपने अर्थ का सृजन करता है. ऐसे में वैसे नाम रखना चाहिए जिसमें सकारात्मक ऊर्जा हो. जिन नामों से नेगेटिव ऊर्जा आती है और उसका अर्थ ठीक नहीं होता ऐसे नामों को भूलकर भी नहीं रखना चाहिए.
पड़ता है गलत प्रभाव
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इसके अलावा राक्षस और दुष्ट प्रवृति जैसे कंस, रावण जैसे नाम भी बच्चों के नाम से नहीं जोड़ना चाहिए. इतना ही नहीं इनके पर्यावाची नाम पर भी बच्चों का नामकरण नहीं करना चाहिए. यह आपके बच्चों को गलत मार्ग पर ले जा सकता है.
रामचरितमानस और सुंदरकांड में हैं कई प्रसंग
पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि रामचरितमानस और सुंदरकांड में इससे जुड़े कई प्रसंग है. एक प्रंसग के अनुसार माता सीता वृक्ष के नीचे बैठ कर रही है,’ सत्य नाम करु हरूमम शोका’ यानी अशोक का अर्थ होता है शोक का हरण करने वाला. वैसे ही रामचरितमानस में चंद्रमा के दो नाम शशि और मयंक को लेकर भी एक प्रंसग कहा गया है जिसमें शशि को कलंक कहकर बुलाया गया इसकिये शशि नाम रखने से भी लोगों को बचना चाहिए
FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 13:13 IST
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